टिहरी निवासी विजेंद्र सिंह नेगी उत्तराखंड में भीषण बाढ़ के उस भयावह मंजर को शायद जिंदगी भर भुला नहीं पाएगा, जब उसने केदारनाथ मंदिर की घंटी से नौ घंटे तक लटके रहकर और गर्दन तक गहरे पानी में तैरते शवों पर खड़े होकर जैसे-तैसे अपनी जान बचाई.
36 वर्षीय नेगी के रिश्तेदार और दिल्ली के पर्यटन ऑपरेटर गंगा सिंह भंडारी ने कहा, 'बाढ़ के दौरान वह सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक मंदिर की घंटी से लटका रहा. संतुलन बनाने के लिए वह पानी में बहते शवों के ऊपर खड़ा रहा. पानी के तेज प्रवाह से उसके कपड़े फट गए लेकिन जीवित रहने की उम्मीद में वह जैसे-तैसे खड़ा रहा.'
भंडारी ने कहा, 'नेगी मंदिर के पास बने तीन मंजिला होटल की छत से पानी में कूदा और उसके बाद उसने मंदिर में शरण ली. नेगी के हाथों में बड़े-बड़े छाले पड़ गए हैं. घंटों तक घंटी से लटके रहने के कारण जब नेगी की पकड़ ढीली पड़ने लगी, तो उसने संतुलन बनाने के लिए पानी में बह रहे शवों का सहारा लिया.' उसने कहा, 'उसके कपड़ों के चीथड़े हो गए थे, ऐसे में उसने अपने लगभग नग्न शरीर को ढकने के लिए उसके आसपास पड़े शवों के कपड़े उतारे. पानी का स्तर कम हो जाने के बाद वह जंगल में दो दिनों तक पड़ा रहा. बाद में सेना के हेलीकॉप्टर ने उसे बचाया.'
भंडारी ने कहा, 'नेगी को जीवित देखकर उसके परिजन के आंसू थम नहीं रहे थे. उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं. भगवान की कृपा से वह मौत के मुंह से बाहर निकल आया.'
भंडारी का होटल केदारनाथ मंदिर के पास बना हुआ था. नेगी इसी होटल में ठहरा हुआ था. उसने कहा, 'मेरा होटल बाढ़ में बह गया. होटल के प्रबंधक और बावर्ची ने ऊंचे स्थानों पर जाकर अपनी जान बचाई.' भंडारी ने बताया कि उसने उत्तराखंड में एक साथ 12 बसें भेजी थीं और अब तक तीन लोगों के मरने की सूचना मिली है. अधिकतर लोग सुरक्षित लौट आए हैं, जबकि कुछ बसें अब भी केदारनाथ और उत्तरकाशी में फंसी हुई हैं.
उसने कहा, 'प्रकृति के प्रकोप से बचकर आने वाले चालक और यात्री बुरी तरह डरे और सहमे हुए हैं.' भंडारी ने बताया कि इंग्लैंड से आए चार सदस्यीय एक प्रवासी भारतीय परिवार ने चारधाम की यात्रा के लिए एसयूवी किराए पर ली थी, लेकिन उनका वाहन मनेरी में फंसा गया. वह तीन दिनों तक बिना भोजन के वाहन में ही रहे. सेना ने उन्हें 20 जून को वहां से बाहर निकालकर बचाया.'
अहमदाबाद के एक अन्य टूर ऑपरेटर के दिल्ली कार्यालय के प्रबंधक प्रवीण भट्ट ने बताया कि उसने केदारनाथ की यात्रा के लिए 22 यात्रियों को भेजा था जिनमें से 17 अब भी लापता हैं.