उत्तराखंड के राहत अभियान में सरकारी लापरवाही भी सामने आ रही है. आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए दूर-दराज से आई रसद गोदामों में बंद पड़ी हैं. 12 तारीख को देहरादून से रसद सामग्री लेकर ट्रक जोशीमठ पहुंचे पर किसी ने इन ट्रकों की सुध लेना मुनासिब नहीं समझा.
बीते सोमवार को जोशीमठ पहुंचे ट्रक ड्राइवरों ने बताया कि सुबह दस बजे से उन्होंने स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, पर किसी ने फोन नहीं उठाया. राहत सामग्री खुले ट्रकों में पूरी रात भीगती रही.
राहत सामग्री से पानी तक टपक रहा है. कुछ रसद सड़कों पर बिखरी भी दिखाई दी. वहीं प्रसासन का कहना है कि एक्सपायर होने की वजह से राहत के सामान को नष्ट किया गया है.
एक ट्रक ड्राइवर ने बताया, 'हमने उनसे कहा कि रस्सी और तिरपाल दे दो. पर जवाब मिला कि माल तुम्हारा नहीं, हमारा भीगेगा. तुमने सिर्फ माल पहुंचाया है, हम यहां भूखे-प्यासे रहकर खतरों के बीच राहत काम में लगे हुए हैं.'
नायब तहसील दार जगदीश रावत ने बताया कि यह सामग्री पांडुकेश्वर, लामबगड़, गोविंदघाट, खीरों और बेनाकुली में बांटी जानी है. अभी सामान यहां इकट्ठा किया जा रहा है. सड़क मार्ग खुलने पर इसे रवाना कर दिया जाएगा. ये रसद देहरादून आपदा सेंटर से आई है. एक्सपायर और भीग कर खराब हो चुके सामान को हम नष्ट कर रहे हैं.