पतंजलि योगपीठ की 5 दवाओं को उत्तराखंड सरकार की ओर से बैन करने के मामले में योग गुरु बाबा रामदेव भड़क गए. वह बैन लगाने वाले अधिकारियों पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा, “अधिकारियों ने एक मिनट में उनकी 30 वर्ष की मेहनत पर पानी फेर दिया. यह करने की उनकी हिम्मत कैसे हुई. जिस नियम, कानून और मापदंडों का पालन करते हुए उनको लाइसेंस दिया गया था, उसी मापदंड के अनुसार दवा बना रहे थे, तो उस पर रोक कैसे लगाई जा सकती है.”
योग गुरु ने आगे कहा, जिस असंवेदनशील अधिकारी ने यह कार्य किया, उसने अपनी गलती मान ली. हम साधु हैं, तो हम माफ कर दे रहे हैं. मगर, गुनाह तो बहुत बड़ा किया था. हमारी 30 सालों की मेहनत पर उसने एक मिनट में पानी फेर दिया.”
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यदि विज्ञापन की बात है, तो विज्ञापन की बात करें कि विज्ञापन कैसे देना है और कैसे नहीं देना है. दवा बैन कैसे कर सकते हैं. हमने सरकार का दरवाजा खटखटाया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उसके लिए पहल की है कि इस तरीके के मूर्खतापूर्ण कार्य मत करो. भगवान ऐसे अधिकारियों को सन्मति दे, नहीं तो सद्गति दे.
पतंजलि लेगा लीगल एक्शन- आचार्य बालकृष्ण
वहीं, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकिशन ने दवा पर बैन लगाए जाने को गैर-जिम्मेदाराना हरकत करार दिया. उन्होंने कहा, “अधिकारी का यह कृत्य आयुर्वेद और आयुर्वेदिक परंपरा का नुकसान पहुंचाने वाला है और पतंजलि उन्हें छोड़ने वाला नहीं है. पतंजलि इसको लेकर लीगल एक्शन भी लेगा और इस पर काम किया जा रहा है.”
आचार्य बालकृष्ण का कहना है, “आधार विहीन और विभागीय ज्ञान शून्य लोग अपने विभाग का दायित्व का निर्वहन करते हैं, तो ऐसा ही होता है. इन्होंने गैर-जिम्मेदाराना हरकत ही नहीं की, बल्कि उनको यह भी नहीं पता था कि उस कृत्य से आयुर्वेद का, आयुर्वेदिक परंपरा का कितना बड़ा नुकसान वह कर रहे हैं.”
उन्होंने बताया, “हमने मामले को पूरी तरह से संज्ञान में लिया और सरकार के समक्ष वह बातें रखीं. उत्तराखंड सरकार का मैं इसके लिए धन्यवाद करूंगा कि उन्होंने अपनी भूल को सुधार किया. मगर, पतंजलि रुकने वाला नहीं है क्योंकि इसके पीछे हम मानते हैं कि यह एक अधिकारी के सामर्थ्य के बस की बात नहीं है. यह बड़ा षड्यंत्र है. जो भी इसके पीछे तथ्य हैं, जो भी उसके पीछे कारण हैं, हम उसकी तह तक जाएंगे और उनके खिलाफ हमने पूरी कानूनी प्रक्रिया शुरू कर रखी है.”