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UCC को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कोर्ट का रुख कर सकेंगे पीड़ित, पढ़ें- सुनवाई की बड़ी बातें

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर ने सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से कहा कि अगर कोई व्यक्ति UCC के तहत दंडात्मक कार्रवाई का सामना कर रहा है, तो उसे कोर्ट में सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाएगा. इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने झूठी शिकायतों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है. सरकार के मुताबिक UCC के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़ा प्रावधान किया गया है.

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UCC से जुड़ी याचिकाओं पर उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई
UCC से जुड़ी याचिकाओं पर उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने के बाद इससे प्रभावित लोगों को बड़ी राहत मिली है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति पर UCC के तहत कोई कार्रवाई होती है, तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है. ये आदेश उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिनमें UCC की वैधता को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को इससे नुकसान होता है, तो वह इस कोर्ट में आ सकता है.

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मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर ने सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से कहा कि अगर कोई व्यक्ति UCC के तहत दंडात्मक कार्रवाई का सामना कर रहा है, तो उसे कोर्ट में सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाएगा. इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने झूठी शिकायतों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है. सरकार के मुताबिक UCC के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़ा प्रावधान किया गया है.

पहले चेतावनी फिर जुर्माना

सरकार ने UCC नियमों के चैप्टर 6, नियम 20 (उपधारा 02) के तहत झूठी शिकायत करने वालों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है. इसके तहत पहली बार झूठी शिकायत पर चेतावनी दी जाएगी. दूसरी बार शिकायत करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगेगा. तीसरी बार उल्लंघन करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.

अगर तय समय (45 दिन) के भीतर जुर्माना ऑनलाइन जमा नहीं किया जाता, तो इसे तहसील अधिकारी के माध्यम से वसूला जाएगा. सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य झूठी शिकायतों से बचाव और UCC को विवाद मुक्त रखना है.

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UCC लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार ने 27 जनवरी 2025 को यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया था, जिससे यह स्वतंत्र भारत में UCC लागू करने वाला पहला राज्य बन गया. UCC के तहत शादी, तलाक और संपत्ति के नियम सभी धर्मों के लिए समान होंगे. हालांकि, कुछ प्रावधानों को लेकर विवाद भी हो रहा है. लिव-इन रिलेशनशिप के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन का नियम सबसे ज्यादा चर्चा में है. आलोचकों का कहना है कि यह व्यक्तिगत गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है. हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कदम का बचाव किया और कहा कि यह श्रद्धा वाकर हत्याकांड जैसी घटनाओं को रोकने में मदद करेगा.

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