जोशीमठ में भू धंसाव के चलते 723 घरों में दरारें आ गई हैं. भू धंसाव के बाद अब एक्शन की तैयारी है. बुलडोजर तैयार है. सबसे पहले वहां खतरे की जद में आए दो होटलों को तोड़ने के लिए तमाम टीमें मुस्तैद हो गई हैं. बड़ी दरारें पड़ने के चलते दोनों होटलों माउंट व्यू और मल्हारी की इमारतें पीछे की ओर झुक गई हैं. वहीं सरकार के इस एक्शन के खिलाफ लोगों में गुस्सा है. बीती रात से स्थानीय लोग धरने पर बैठे हैं. लोगों की मांग है कि पहले मुआवजे और पुनर्वास की बात हो, इसके बाद ही वे घर खाली करेंगे. ऐसे में उत्तराखंड की धामी सरकार के सामने दोहरी चुनौती है कि वह जोशीमठ में तबाही से पहले लोगों को राजी कर सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जा सके.
सीएम धामी ने जोशीमठ पहुंचकर राहत शिविरों का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और राहत शिविरों में मिल रही सुविधाओं को देखा.
गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने जोशीमठ में प्रभावित परिवारों के लिए चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन एवं वर्तमान स्थितियों का फीडबैक लिया.
पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण जोशीमठ के विस्थापितों के लिए राहत सामग्री लेकर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा कि विकास और आपदा में थोड़ा सा अंतर है, इसे हमें समझना होगा. मैं जोशीमठ के मुद्दे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चर्चा करता रहा हूं. सीएम से आज मुलाकात नहीं हो पाएगी. जोशीमठ धार्मिक भूमि है, लेकिन उसे कंक्रीट का जंगल बना दिया गया. जोशीमठ को किसी भी कीमत पर लुप्त न होने देने के लिए हमें अपना प्रयास करना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने हमें भरोसा दिया है. वे पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. इकोलॉजी और इकोनॉमी को ध्यान में रखकर काम किया जाएगा. विशेषज्ञों से लगातार बातचीत की जा रही है. उम्मीद है हमारा जोशीमठ पहले जैसा होगा. अभी सिर्फ 2 बिल्डिंग तोड़ने का फैसला लिया गया है. लोगों के पुनर्वास के लिए काम किए जा रहे हैं. ये अंतिम राहत नहीं है, सिर्फ तत्कालीन राहत है. पूरी सरकार जोशीमठ के लोगों के साथ है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ जाने के लिए देहरादून से निकल चुके हैं. यहां वह स्थिति का जायजा लेंगे. उनका कहना है कि वह आज रात जोशीमठ में ही रुकेंगे और स्थिति पर नजर रखेंगे.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट को फोन किया. इस दौरान उन्होंने जोशीमठ में चल रहे राहत एवं बचाव कार्यो की जानकारी ली और हर सम्भव मदद के निर्देश दिए.उन्होंने दोनों से कहा कि प्रभावितों के साथ मानवतावादी व्यवहार हो. किसी प्रकार की जनहानि न हो, इसके लिए सरकार जिम्मेदारी तय करे.
जोशीमठ में अपनी जगह से ख़िसक रहीं इमारतें, देखिए ग्राउंड ज़ीरो से आजतक संवाददाता @tweets_amit की रिपोर्ट #Joshimath #Uttrakhand #LunchBreak #ATVideo | @nehabatham03 pic.twitter.com/fXBm5GsaCE
— AajTak (@aajtak) January 11, 2023
उत्तराखंड अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक और भूवैज्ञानिक डॉ एमपीएस बिष्ट ने आजतक से बातचीत में बताया कि जोशीमठ में बारिश और बर्फ गिरने से और परेशानी पैदा होगी. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि जब बर्फ गिरने के बाद पिघलेगी तो क्षेत्र में और भू धंसाव होगा. डॉ बिष्ट ने कहा कि 2009 में मुझे एनटीपीसी सुरंग का अध्ययन करने के लिए चुना गया था.
जोशीमठ में लोग लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. लोगों की मांग है कि उनके घर गिराने से पहले उन्हें मुआवजा दिया जाए. इसी बीच जोशीमठ में बारिश भी शुरू हो गई है. इतना ही नहीं पहाड़ों पर बर्फबारी भी हुई है.
जोशीमठ में प्रशासन बुलडोजर का दस्ता लेकर तैयार है. लेकिन 723 घरों को गिराने के ऑपरेशन के आगे जोशीमठ की जनता खडी हो गई है. जोशीमठ के लोग अड़ गए हैं. अपना हक मांग रहे हैं. जनता की मांग है कि मुआवजा दो, नए घर की गारंटी दो, तभी आशियाने पर हाथ लगाने देंगे.
बताया जा रहा है कि प्रशासन होटलों की इमारत गिराने में बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं करेगा. होटलों की इमारतों पर भारी मशीनरी का इस्तेमाल नहीं होगा, ताकि किसी तरह के कोई झटके न लगें. होटल गिराने का काम हथौड़े, ड्रिल मशीन और अन्य ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कर किया जाएगा.
जोशीमठ में बुधवार को मौसम खराब हो गया. यहां आसमान में घने बादल छाए हुए हैं. ऊपरी पहाड़ी पर बर्फबारी हो रही है. बारिश और बर्फबारी की संभावना ने लोगों के डर को और बढ़ा दिया है. लोगों को डर है कि अगर बर्फबारी या बारिश होती है, तो नमी आने से और दरारें बढ़ेंगी और खतरा बढ़ेगा. उधर, खराब मौसम के चलते इमारतें गिराने का काम शुरू नहीं हो पाया है.
अब तक की प्रशासन की कार्रवाई के बाद जोशीमठ में 723 मकानों में दरारें पाई गई हैं. सुरक्षा को देखते हुए यहां 131 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है. 10 उन परिवारों को जिनके आशियाने पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं, उन्हें 1.30 लाख की दर से धनराशि दी गई है. इसके साथ ही प्रभावित परिवारों को उनकी आवश्यकतानुसार खाधान्न किट और कंबल वितरित किये गये हैं. कुल 70 खाद्यान्न किट, 70 कम्बल और 570 लीटर दूध प्रभावितों को वितरित किया गया है, कुल 80 प्रभावित व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया है. लेकिन इन दावों और इंतजामों के बीच लोगों का विरोध भी शुरू हो चुका है. किसी की जिंदगीभर की कमाई का जो 1.3 लाख रुपये का मुआवजा निकाला गया है, लोगों को ये रास नहीं आ रहा है. कई महिलाएं सड़कों पर बैठी हुई हैं. लोगों की मांग है कि होटल तभी गिराने दिया जाएगा जब उन्हें उचित मुआवजा मिल जाएगा.
जोशीमठ में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे. स्थानीय जनता की मांग है कि उन्हें पहले मुआवजा मिले या मुआवजे और पुनर्वास का आश्वासन दिया जाए. इसके बाद वे घर खाली करेंगे. जनता का आरोप है कि प्रशासन की ओर से अब तक किसी भी मुआवजे की बात उनसे नहीं की गई है. उधर, जोशीमठ में आदेश के बावजूद मंगलवार को दोनों होटलों माउंट व्यू और मल्हारी को गिराने का काम पूरा नहीं हो सका. होटल के मालिकों का कहना है कि उन्हें अब तक प्रशासन की ओर से न ही नोटिस मिला और न ही उनकी जगह का वैल्यूएशन किया गया.
जोशीमठ में भू धंसाव के चलते अब तक 723 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. इन घरों में लाल क्रॉस के निशान लगा दिए गए हैं. इन घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है. लेकिन तमाम अपने आशियाने को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. वजह वर्तमान और भविष्य को लेकर अनिश्चितता का माहौल. इन लोगों का कहना है कि पहले उन्हें प्रशासन की ओर से पुनर्वास और मुआवजे का आश्वासन मिले, इसके बाद भी वे घर छोड़कर जाएंगे. इसे लेकर जोशीमठ में लोगों ने मंगलवार रात को प्रदर्शन भी किया.
प्रशासन ने माउंट व्यू और मल्हारी होटलों को गिराने के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं. यहां आसपास तारों को हटा दिया गया है. लेकिन अभी होटल गिराने की कार्रवाई शुरू नहीं हुई है. होटल मालिक और उनके परिवार के लोग बिना मुआवजे के होटल गिराने का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें न नोटिस मिला है और न ही मुआवजे की बात की गई. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए अब होटल गिराने से पहले प्रशासनिक अधिकारी होटल मालिकों के साथ बैठक करेंगे.