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सरकारी आदेश के खिलाफ हुए मदरसे, कहा- नहीं लगाएंगे मोदी की तस्वीर

अखलाक ने कहा कि इस्लाम के तहत मस्जिदों और मदरसों के अंदर जीवित चीजों या इंसानों की तस्वीरें लगाने पर पाबंदी है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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उत्तराखंड में मदरसों ने धार्मिक आधार का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लगाने से इनकार कर दिया है. उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी आदेश में प्रदेश के सभी सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को अपने परिसरों के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाने को कहा गया था.

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार अखलाक अहमद ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि धार्मिक कारणों की वजह से राज्य के मदरसों ने अपने परिसर में प्रधानमंत्री की तस्वीरें नहीं लगाई हैं. अखलाक ने कहा कि इस्लाम के तहत मस्जिदों और मदरसों के अंदर जीवित चीजों या इंसानों की तस्वीरें लगाने पर पाबंदी है.

साथ ही अखलाक ने कहा कि उत्तराखंड के मदरसों में प्रधानमंत्री की तस्वीरें लगाने से इनकार करने के फैसले को किसी व्यक्ति विशेष के विरोध के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

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मस्जिद में धार्मिक नेताओं के तस्वीरों पर पाबंदी

अखलाक ने कहा कि वह किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं हैं और यह विशुद्ध रूप से धार्मिक आस्था के कारण है. इस्लाम मस्जिदों और मदरसों के अंदर धार्मिक नेताओं सहित किसी भी जीवित वस्तु या इंसान की तस्वीरें लगाने की इजाजत नहीं देता.

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने यह आदेश पिछले साल अगस्त में दिया था और मदरसा बोर्ड ने इसे तत्काल जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को समुचित कार्रवाई के लिए प्रेषित किया था.

मदरसे किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं

अहमद ने कहा, ‘हम किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर यहां उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के कार्यालय और जिलों में स्थित बोर्ड कार्यालयों में लगी हुई हैं.’

पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के तुरंत बाद सरकार द्वारा संचालित सभी शैक्षणिक संस्थानों को अपने परिसर में मोदी की तस्वीर लगाने तथा वर्ष 2022 तक नये भारत के उनके संकल्प को लागू करने का संकल्प लेने को कहा गया था.

पहले उठी थी मदरसे में संस्कृत की मांग

इससे पहले उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की मांग की गई थी, जिसे प्रदेश के मदरसा बोर्ड ने खारिज कर दिया था. मदरसा वेलफेयर सोसायटी (एमडब्ल्यूएस) ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर अपील की थी कि सूबे के मदरसों से संस्कृत के शिक्षकों को भी जोड़ा जाए ताकि वहां के पाठ्यक्रम में संस्कृत को जोड़ा जा सके.

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संस्कृत की मांग को मदरसा बोर्ड ने कर दिया था खारिज

एमडब्ल्यूएस के इस सुझाव को सिरे से खारिज करते हुए उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार अखलाक अहमद अंसारी ने कहा था कि मदरसों के पाठ्यक्रम में संस्कृत को जोड़ने से तकनीकी समस्या होगी. हिंदी और अंग्रेजी हमारी प्राथमिकता हैं, जिन्हें मदरसों में पढ़ाया जाना आवश्यक है. इसके अलावा मदरसों में केवल एक ही भाषा मदरसे में पढ़ाई जा सकती है जिसके लिए हमारे पास विकल्प के तौर पर अरबी और फारसी है. ऐसे में एक और भाषा संस्कृत को मदरसे के पाठ्यक्रम में जोड़ना अव्यावहारिक होगा. उन्होंने कहा कि हम संस्कृत को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए अरबी या फारसी को नहीं छोड़ सकते हैं.

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