मान्यताओं के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन ही पहले शाही स्नान के साथ महाकुंभ की शुरुआत हो गई थी लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा इस आयोजन की शुरुआत 1 अप्रैल से हो रही है. हर 12 साल बाद मनाया जाने वाला महाकुंभ इस बार हरिद्वार में मनाया जा रहा है जिसके लिए 1 अप्रैल से शंखनाद शुरू होगा. अखाड़ी हरिद्वार पहुंच चुके हैं, श्रद्धालु डुबकी लगाने के लिए तैयार हैं, हर की पैड़ी की दिव्यता दिखने लगी है लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी चिंता कोरोना वायरस का संक्रमण है.
देश के कई राज्यों में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है.बावजूद इसके हरिद्वार में संक्रमण से निपटने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. उत्तराखंड सरकार की ओर से आदेश जारी किए गए हैं जिसके तहत एक अप्रैल से दिल्ली समेत 12 राज्यों से आने वाले लोगों को अपने साथ 72 घंटे पहले की निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट साथ रखनी होगी.
कोरोना जांच वालों की ही एंट्री
1 अप्रैल से हरिद्वार कुंभ में भी उन्हीं लोगों को एंट्री दी जाएगी, जो 72 घंटे पहले की कोरोनावायरस आरटीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट दिखाएंगे. जिन लोगों को कोरोना वायरस वैक्सीन लग चुकी है, अगर वे अपना सर्टिफिकेट दिखाते हैं तो उन्हें छूट मिल सकती है. इतना ही नहीं, उत्तराखंड को जोड़ने वाले सभी रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और बॉर्डर की चौकियों पर रैंडम टेस्टिंग का आदेश दिया गया है.
टेस्टिंग सेंटर के इंचार्ज डॉ. विशाल ने आज तक को बताया कि यहां हर दिन 10000 लोगों की टेस्टिंग की जा सकती है और सरकार के आदेश के मुताबिक 1 दिन पहले ही स्टेशन सेंटर को शुरू किया गया है जहां फिलहाल एंटीजन टेस्टिंग की सुविधाएं हैं. अगर किसी के अंदर कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें बिठाने के लिए अलग व्यवस्था की गई है. डॉ. विशाल के मुताबिक यात्रियों को इस टेस्टिंग सेंटर पर 15 मिनट से ज्यादा का इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
सड़क मार्ग के अलावा रेल यात्रियों के लिए भी कोविड-19 का पालन आवश्यक है. हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयारियां की जा रही हैं. कोविड-19 बूथ, स्वास्थ्य विभाग का हेल्पलाइन और जगह-जगह सैनेटाइजर यूनिट लगाई गई हैं. रेल से आने वाले यात्रियों को एक अप्रैल से कोविड-19 सर्टिफिकेट दिखाना अनिवार्य होगा. शासन के आदेश के मुताबिक हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्रियों की रैंडम टेस्टिंग भी की जाएगी.
चुनौतियां कम नहीं
व्यवस्था कैसे अव्यवस्था में बदल जाती है इसकी नजीर हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर तब देखने को मिली जब सुबह की ट्रेन आई. स्थानीय लोगों के साथ-साथ गंगा स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या जैसे ही ट्रेन से उतरी हरिद्वार रेलवे स्टेशन के प्रांगण में मानो आफत सी मच गई. रेलवे पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की संख्या ट्रेन से उतरने वाले जनसैलाब के आगे शून्य पड़ गई. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी आवाज लगाते रहे लेकिन मुसाफिरों ने एक ना सुनी. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी रेखा ने बताया कि लोग सुनते ही नहीं हैं हम चाहते हैं कि वह टेस्ट करवाएं लेकिन लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है.
स्वास्थ्य विभाग के दूसरे कर्मचारी भी भीड़ के आगे बेबस और लाचार नजर आए. भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ रही थीं और जिस महामारी से बचाव के लिए व्यवस्था की गई वह ऐसी व्यवस्था में बदल गई कि उससे खुद महामारी बढ़ जाने का खतरा पैदा हो जाए. प्रांगण में जगह पर्याप्त लेकिन प्रशासनिक संख्या बल इतना कम जिससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि 1 अप्रैल से महाकुंभ की शुरुआत होने के बाद और खासकर शाही स्नान के दिनों जब श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होगी तब व्यवस्था का क्या हाल होगा.