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उत्तराखंडः सास-ससुर ने कन्यादान कर विधवा बहू को किया विदा

कविता अपने पति की मौत के बाद कभी अपने सास और ससुर को अकेले छोड़कर नहीं गईं. कविता ने कहा कि सास ससुर ने जितना प्यार दिया वह किसी किस्मत वाले को ही मिल पाता है.

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विजय चंद अपनी पत्नी औऱ बहू कविता के साथ (फोटो-दिलीप)
विजय चंद अपनी पत्नी औऱ बहू कविता के साथ (फोटो-दिलीप)

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समाज में कई ऐसी मिसाल पेश कर जाते हैं जिसे लोग हमेशा याद करते रहते हैं. ऐसी ही एक मिसाल उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में देखने को मिली जो हमेशा समाज के जेह्न में रहेगी. जहां एक सास-ससुर ने पिता बनकर अपनी विधवा बहू की धूमधाम से शादी की और कन्‍यादान भी किया.

देहरादून के बालावाला में विजय चंद और कमला देवी अपने परिवार के साथ रहते हैं. 2014 में विजय चंद के बड़े बेटे संदीप की शादी कविता से हुई. परिवार में खुशियां थीं, सब कुछ ठीक चल रहा था. अचानक 2015 में संदीप की हरिद्वार में सड़क हादसे में मौत हो गई.

मानो इस परिवार की खुशियों पर किसी की नजर लग गई. विजय चंद के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. इसके बाद पूरे परिवार ने न खुद हिम्‍मत हारी और न ही अपनी बहू कविता जिसकी शादी को महज एक साल भर पूरा हुआ था, ससुर ने बहू की हिम्मत को टूटने नहीं दिया.

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इस बीच, विजय चंद और कमला ने बहू कविता की सहमति से उसके लिए लड़का तलाशना शुरू किया. उन्‍होंने ऋषिकेश निवासी तेजपाल सिंह को कविता के लिए पंसद किया. धूमधाम से शादी कर विजय चंद और कमला ने कविता को अपनी बेटी की तरह ससुराल के लिए विदा किया.

कविता अपने पति की मौत के बाद कभी अपने सास और ससुर को अकेले छोड़कर नहीं गईं. कविता ने कहा कि सास ससुर ने जितना प्यार दिया वह किसी किस्मत वाले को ही मिल पाता है.

विजय चंद (कविता के ससुर) बताते हैं कि जब हमारे बेटे के मरने के बाद आस-पड़ोस नाते रिश्तेदार सभी ने कविता को वापस भेजने के लिए कहा. मगर न हम माने और न ही हमारी बहू, सभी ने बहू को परिवार के लिए अशुभ माना. लेकिन हम हमेशा उसके साथ खड़े रहे.

विजय चंद कहते हैं, मैंने कविता की शादी करके अपनी बेटी के रूप में उसका कन्‍यादान किया. वह हमारे परिवार से कभी ना अलग होने वाला हिस्‍सा है. मेरी इच्‍छा है और मैं आशा करता हूं कि हमारा समाज इस घटना से कुछ सीख ले. हमारी बहू, हमारी बेटी की तरह है. वह दुनिया में सभी सम्‍मान और आशीर्वाद की हकदार हैं.

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