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Earthquake: जहां सुरंग में फंसे हैं 40 मजदूर, उत्तराखंड के उस इलाके में आया भूकंप

उत्तराखंड में एक बार फिर धरती हिली है. इस भूकंप के झटके उत्तरकाशी के सिलक्यारा क्षेत्र में भी महसूस किए गए हैं. ये वही क्षेत्र है, जहां टनल में 40 मजदूर फंसे हुए हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.1 मापी गई है.

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उत्तरकाशी में लगे भूकंप के झटके (सांकेतिक फोटो)
उत्तरकाशी में लगे भूकंप के झटके (सांकेतिक फोटो)

उत्तराखंड में एक बार फिर धरती हिली है. इस भूकंप के झटके उत्तरकाशी के सिलक्यारा क्षेत्र में भी महसूस किए गए हैं. ये वही क्षेत्र है, जहां टनल में 40 मजदूर फंसे हुए हैं, जिनको बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है.  नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 3.1 मापी गई है. 

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NCS के मुताबिक, उत्तरकाशी में ये भूकंप देर रात 02 बजकर 02 मिनट 10 सेंकड पर आया था. इसका केंद्र के जमीन के अंदर गहराई में पांच किलोमीटर था. 


बता दें कि उत्तरकाशी में 12 नवंबर की सुबह चारधाम प्रोजेक्ट के तहत बन रही टनल में एक हिस्सा धंस गया था. इस मलबे में 40 मजदूर हर पल मौत से जूझ रहे हैं. अच्छी बात ये है कि अभी सभी 40 मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं. टनल के प्रवेश द्वार से करीब 200 मीटर अंदर 40 मजदूर जहां फंसे हैं. उसके ठीक आगे 50 मीटर तक मलबा फैला है. रेस्क्यू टीम के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि टनल का वो हिस्सा काफी कमजोर है. 

इससे पहले जब दिल्ली में भूकंप के झटके आए थे तो ये झटके उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भी महसूस हुए थे. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.6 मापी गई थी. भूकंप का केंद्र भी नेपाल ही था. 

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क्यों आता है भूकंप? 

वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा. पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है. जब इससे डिस्‍टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है. 

कैसे मापी जाती है तीव्रता? 

भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है. रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है. 

जानें रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता के हिसाब से क्‍या हो सकता है असर:

- 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है.

- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.

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- 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है.

- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं.

- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है.

- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है. 

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