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उत्तराखंड में बीते रविवार को ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही हुई है. एनटीपीसी के निर्माणाधीन तोपवन-विष्णुगढ़ हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का भारी नुकसान हुआ है. मगंलवार को सामने आई हाई रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि ग्लेशियर टूटने से आई आकस्मिक बाढ़ के चलते तपोवन प्रोजेक्ट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया.
इन तस्वीरों से पता चलता है कि एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना के अधिकांश हिस्सा मलबे से ढक गया है. गाद और मलबे के चलते बचाव कार्य में भी काफी दिक्कतें आ रही हैं. मंगलवार को ली गई एक तुलनात्मक तस्वीर में नजर आ रहा है कि धौलीगंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया है. नवंबर 2018 में ली गई तस्वीर की तुलना में धौलीगंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ- साथ नदी के किनारे पर मिट्टी का पैटर्न भी बदल गया है.
इस तस्वीर से यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जारी बचाव कार्य कितनी कठिन परिस्थितियों में हो रहा है. धौलीगंगा के किनारे दर्जनों ट्रक और बचाव के लिए आए वाहन भी तस्वीर में साफ देखे जा सकते हैं.
तपोवन प्लांट के पूर्वी हिस्से और उत्तर की दिशा में बैराज को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.जबकि प्लांट का दक्षिणी हिस्सा पानी और मलबे में डूब गया है.
केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह ने मंगलवार को तपोवन का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि इस त्रासदी से एनटीपीसी को करीब 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह प्रोजेक्ट 2023 में सक्रिय हो जाता लेकिन फिलहाल यह असंभव लग रहा है. इस हादसे में लापता लोगों की तलाश में कई सुरक्षाबल लगे हुए हैं. कहा जा रहा है कि अब भी दर्जनों लोग सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं. मलबे के कारण सुरंग जाम हो गई है और फंसे लोगों तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है. स्पेस फर्म Maxar’s WorldView-1 की सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्लांट को पूरी तरह से संयंत्र के लायक बनाना अब काफी मुश्किल है.
बता दें कि चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया था कि 197 लोग अब भी लापता हैं और 20 लोगों की इस हादसे में मौत हो चुकी है.