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उत्तराखंड में मौत का तांडव, लाशों के बीच भी चरम पर इंसानी लालच

उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ के कारण फंसे लोग एक तरफ प्रकृति का कहर झेल रहे हैं, तो इंसानी लालच भी चरम पर है. यहां फंसे लोग भोजन और पानी के लिए तरस रहे हैं तो उनकी जरूरतों की आड़ में अपना धंधा चमकाने वालों की भी कमी नहीं है.

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उस दर्द की सदा वही समझ सकते हैं, जिनके अपने मुसीबत में फंसे हैं. जहां कभी इंसानों का आशियाना था, लेकिन अब सिर्फ तबाही की दास्तान बची है. जाने कितनी जिंदगियां लील लीं इस कहर ने. जो जिंदा बच गए हैं, उनके लिए कुछ बचा नहीं है. जिन पहाड़ों की तुलना स्वर्ग से की जाती थी, वहां जिंदगी अब नरक बन गई है.

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उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ के कारण फंसे लोग एक तरफ प्रकृति का कहर झेल रहे हैं, तो इंसानी लालच भी चरम पर है. यहां फंसे लोग भोजन और पानी के लिए तरस रहे हैं तो उनकी जरूरतों की आड़ में अपना धंधा चमकाने वालों की भी कमी नहीं है.

इंसानी लालच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां फंसे लोगों को पानी की एक बोतल 100 रुपये में तो पांच रुपये के बिस्कुट का पैकेट 200 रुपये में बेचा जा रहा है. हर तरफ मौत का तांडव और शव नजर आते हैं. बिहार के एक पूर्व मंत्री का अनुभव बेहद डरावना रहा, जिन्हें शवों पर सोना पड़ा.

प्रभावित क्षेत्र से सुरक्षित बाहर आने के बाद उत्तर प्रदेश के बरेली शहर की निवासी नूतन शुक्ला ने बताया कि उन्होंने अपने तथा अपने साथ के पांच लोगों के एक वक्त के भोजन के लिए 5,000 रुपये चुकाए.

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हरियाणा के कैथल निवासी जयपाल ने बताया कि वह गंगोत्री से लौटते वक्त भूस्खलन की चपेट में आ गए और उन्होंने चार दिन भोजन-पानी के बगैर बिताया. वहीं, बिहार के पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार चौबे अपने परिजनों के साथ केदारनाथ में फंसे हुए थे. देहरादून लौटने के बाद चौबे ने बताया कि उन्होंने इससे पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं देखी.

उन्होंने कहा कि वह शवों पर सोए और उन्होंने देखा कि बहुत से लोग अपने परिजनों के शवों की रखवाली कर रहे थे. वे अपने परिजनों के शव वहीं छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं थे. हालांकि शवों के अंतिम संस्कार के बाद वे सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए तैयार हुए.

केदारनाथ में आई आपदा में अपनी मां, दादी तथा अन्य रिश्तेदारों को खो चुकीं दिल्ली के यमुना नगर की निवासी नेहा मिश्रा ने कहा कि वह स्थानीय लोगों के लालच और उनकी मौकापरस्ती को देखकर बेहद दुखी हैं, जो इस विपदा की घड़ी में भी पैसे बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालात से बेहद दुखी राजस्थान के नंद किशोर ने कहा कि वह अब कभी यहां नहीं लौटेंगे.

उत्तराखंड की आपदा में फंसे लोगों की मदद के‍ लिए हेल्‍पालाइन नंबर इस प्रकार हैं:
पिथौरागढ़: 05964-228050, 226326
अल्‍मोड़ा: 05962- 237874
नैनीताल: 05942- 231179
चमोली: 01372- 251437, 251077
रुद्रप्रयाग: 01364- 233727
उत्तरकाशी: 01374- 226461
देहरादून: 0135- 2726066
हरिद्वार: 01334- 223999
टिहरी गढ़वाल: 01376- 233433
बागेश्‍वर: 05963- 220197
चम्‍पावत: 05965- 230703
पौड़ी गढ़वाल: 01368- 221840
उधम सिंह नगर: 05944- 250719, 250823

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