उत्तरकाशी की टनल में फंसे श्रमिकों के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को एक बड़ी सफलता मिली है. जिस चट्टान की वजह से टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, रेस्क्यू टीम ने उस चट्टान को भेदने में कामयाबी हासिल कर ली है.
रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर आए नए अपडेट के मुताबिक मलबे में अब तक 36 मीटर ड्रिलिंग की जा चुकी है. इसमें पहले 24 मीटर तक 900 एमएम के पाइप डाले गए हैं. इसके बाद 800 एमएम के पाइपों का इस्तेमाल किया जा रहा है. बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे को 11 दिन बीत चुके हैं. अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद कर रहीं कई एजेंसियां
बता दें कि उत्तर काशी के सिल्कयारा में सुरंग का निर्माण कार्य चल रहा था. 12 नवंबर को अचानक लैंड स्लाइड हुआ और मलबा ढहकर सुरंग में जाकर समां गया. इस घटना में 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए. तब से सरकार से लेकर सुरक्षा एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में लगी हैं. दिल्ली से लेकर नॉर्वे तक के एक्सपर्ट की मदद ली रही है.
टनल में फंसे मजदूरों में झारखंड के सबसे ज्यादा
सिलक्यारा टनल में उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हैं. मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित निकालने के लिए एक साथ कई प्लान पर काम चल रहा है. होरिजेंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई की जा रही है. सुरंग में जहां मजदूर फंसे हैं. वहां पहाड़ी में ऊपर से भी सुरंग तक पहुंचने की कवायद की जा रही है. तीन तरफ से ड्रिलिंग का प्लान है. सिलक्यारा और बड़कोट की ओर से ड्रिलिंग हो रही है. यानी हॉरिजेंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई का काम जारी है. 170 मीटर की पेरपेंडिकुलर हॉरिजेंटल ड्रिलिंग का भी प्लान है.
थाईलैंड से नॉर्वे तक... एक्सपर्ट कर रहे मदद
सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब तक सरकार थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की मदद ले चुकी है. कई इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे हैं. लेकिन अभी भी रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां पहाड़ की तरह खड़ी हैं. राहत कार्य में जुटीं एजेंसियाों का कहना है कि वो मलबा चीरकर मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालकर ही चैन की सांस लेंगी. दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि NHIDCL ने सिल्कयारा छोर से हॉरिजेंटल बोरिंग ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिया है जिसमें एक बरमा मशीन शामिल है.