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उत्तराखंड: महिला शिक्षक केस में नया मोड़ा, सरकार ने जारी की पुरानी चिट्ठी

सरकार की ओर से एक चिट्ठी जारी की गई है जो साल 2016 में हरीश रावत सरकार के समय की है. इस चिट्ठी में उत्तरा बहुगुणा को एक महीने के अंदर स्कूल ज्वाइन करने के लिए कहा गया था. ऐसा न करने पर उनकी सेवाएं समाप्त करने का भी आदेश था.

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सीएम रावत से हुआ था महिला टीचर का विवाद
सीएम रावत से हुआ था महिला टीचर का विवाद

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महिला शिक्षक मामले में नया मोड़ आ गया है. सरकार की ओर से एक चिट्ठी जारी की गई है जो साल 2016 में हरीश रावत सरकार के समय की है. इस चिट्ठी में उत्तरा बहुगुणा को एक महीने के अंदर स्कूल ज्वाइन करने के लिए कहा गया था. ऐसा न करने पर उनकी सेवाएं समाप्त करने का भी आदेश था.

हालांकि, इस दौरान उत्तरा बहुगुणा के पति की तबीयत खराब रही और कुछ समय बाद उनका देहांत हो गया. ऐसे समय उनकी मानसिक स्तिथि क्या होगी ये कोई भी समझ सकता है. यही वजह रही कि वो 2017 तक स्कूल जा ही नहीं पाईं और न ही उनको किसी तरह का कोई नोटिस ही मिला.  विभाग से भी कोई और जानकारी नहीं मिली.

उत्तरा बहुगुणा ने स्थिति सामान्य होने के बाद फिर से 2017 में स्कूल ज्वाइन किया. अब सवाल ये की अगर 2016 में उन्हें सेवा मुक्त कर दिया गया तो फिर 2017 में कैसे वो स्कूल ज्वाइन कर सकती हैं. ऐसे में अब प्रशाशन पर सवाल उठने लाजमी हैं कि आखिर कैसे बिना जानकारी के ही शिक्षा सचिव ने प्रेस वार्ता की. अगर प्रेस वार्ता की बात सही है तो फिर इस चिट्ठी का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता.

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खुद शिक्षा सचिव ने कहा है कि प्रमोशन की लिस्ट में उत्तरा बहुगुणा का नम्बर 59वां है. जिसका मतलब है कि सरकार को सही बात का ज्ञान ही नहीं है.

गौरतलब है कि सरकार के द्वारा एक प्रेस वार्ता के दौरान महिला शिक्षक उत्तरा को निलंबित करने के आदेश जारी किए गए और वो भी तब जब उससे एक दिन पहले खुद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अपने जनता दरबार में ही ऐसा करने का आदेश दिया था.

वहीं दूसरी ओर सरकार ने ही उनके सेवा समाप्त नोटिस की चिट्ठी को शनिवार को अचानक जारी कर दिया. आजतक ने जब महिला शिक्षक से बात की तो उन्होंने बताया कि उनको एक तरफ तो शिक्षा मंत्री की तरफ न्याय का आश्वासन दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ उनपर समझौते का दबाव भी बनाया जा रहा है.

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