उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला चार धाम यात्रा और पर्यटन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. सुरम्य गंगा और यमुना घाटी की विरासत को संजोए हुए पूरे भारत की आस्था के प्रतीक मां गंगा और यमुना का उद्गम यहीं से होता है. इसी जिले में चार धामों में से दो धाम स्थित है.
अगर बात करें गंगोत्री धाम से लगी गंगा घाटी की तो यहां गंगोत्री की तरफ बढ़ते चले जाते हुए हरे घास के मैदान के रूप में फैला दयारा बुग्याल,सुख्खी, पर्यटकों की पसंद हर्षिल, धराली और फिर इंडो चाइना बॉर्डर से लगे नेलांग वैली जैसे अहम पर्यटन केंद्र है. किंतु इन स्थानों पर पर्याप्त विकास न होने के कारण ये सब हाशिये तक सिमटे हुए हैं.
वही दूसरी ओर यमुना घाटी की बात करें तो यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली, राड़ी घाटी, धिनाडा बुग्याल, थातरा, केदार कण्ठा, गुलाबी कंठा आदि दर्जनों ऐसे इलाके है जो अभी भी विकास से कोसों दूर है. हालांकि जिले में पलायन कम हुआ है, लेकिन फिर भी जिला मूल भूत सुविधाओं के अभाव में अधिकांश लोग अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मैदानी इलाकों में भेज देते है.
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारतमाला प्रोजेक्ट में रोपवे को शामिल किए जाने और उसके लिए बजट का प्रावधान होने से हाशिये पर जा चुके इन दर्शनीय स्थलों के गुलजार होने की पूरी संभावनाएं दिखाई दे रही है. जिससे पर्यटन के साथ ही साथ घोस्ट विलेज में तब्दील हो रहे गांव को बचाया जा सकेगा साथ ही कमाई का जरिया भी बढ़ेगा.
उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री धाम तक यात्रा करने के लिए जानकी चट्टी तक ही सड़क मार्ग है जबकि मंदिर तक पंहुचने के लिए करीब 5 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है. मार्ग इतना संकरा और खतरनाक है कि प्रत्येक यात्रा काल में प्रतिवर्ष भीड़ अधिक होने के कारण कई यात्री हार्टअटैक से अपनी जान गंवा देते हैं .
वर्ष 2006 में यमुनोत्री धाम को रोपवे से जोड़ने का प्रस्ताव बना था जिसके लिए पर्यटन विभाग द्वारा 2012 में निविदा भी जारी की गई थी लेकिन सरकारों और हुक्मरानों की दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में 15 साल बीत जाने के बाद भी ये रोपवे परवान नही चढ़ पाया. यदि इस इलाके में रोपवे बन जाता तो यात्रियों की रिकार्ड आमद होती जिससे चारधाम यात्रा से जुड़े व्यापारियों को फायदा होने के साथ साथ स्थानीय होटल, व्यवसायियों के आमदनी का जरिया भी बढ़ेगा. यमुनोत्री में रोप वे का इंतजार स्थानीय लोग ही नहीं देश- विदेश के आम श्रदालु भी कर रहे हैं.