उत्तरकाशी में 41 मजदूरों को सुरंग में फंसे हुए 10 दिन बीत गए. रेस्क्यू से जुड़ीं एजेंसियों का अनुमान है कि 30 से 40 घंटे के अंदर सुरंग से सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकाल लिए जाएंगे. लेकिन आज 10वें दिन सुरंग से शुभ खबर आई. कैमरे के जरिए श्रमिकों के परिवारों ने सुरंग में फंसे अपनों का चेहरा देखा और उनसे बात की. घर वालों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वो जल्द ही सुरक्षित बाहर आ जाएंगे. कैसे आज की तस्वीरें ने उम्मीदें जगाई हैं, देखिए...
सुरंग के बाहर खड़ी एक महिला कहती है कि हमारा बेटा बाहर नहीं आता तब तक संतोष नहीं है... कैसे हो किसी मां को संतोष. जब बेटा धंसी हुई सुरंग में फंसा हो, तो भरोसे की चट्टान आहिस्ते-आहिस्ते चटकती ही है. उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे हुए 41 मजदूरों को बाहर निकलने की आस जगी है.
कई परिजनों को मिला सुकून
10 दिन बाद उत्तरकाशी की सुरंग से जो तस्वीरें आई हैं वो बेहद तसल्ली देने वाली हैं. सोचिए कितना सुकून मिला होगा उस बाप को अपने बेटे को जिंदा और सुरक्षित देखकर, कितनी राहत मिली होगी, उस मां को अपने बेटे को सकुशल देखकर. मगर मां तो मां है, जब तक बेटा सुरंग से बाहर निकल न आए तब तक जान हलक में अटकी ही रहेगी.
लेकिन अब इतना साफ तौर पर कहा जा सकता है,
- 41 मजदूर पूरी तरह सुरक्षित हैं.
- उनकी सेहत ठीकठाक है.
- मजदूर बातचीत कर पा रहे हैं.
- डरे जरूर हैं, लेकिन हौसला बना है.
- खाना-पानी की सप्लाई जारी है.
- ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है.
उम्मीद जिंदा है
इस बीच पीएम मोदी ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी जानकारी ली. ये तस्वीरें रेस्क्यू टीम के लिए भी बेहद हौसला बढाने वाली हैं. मजदूरों की जिंदगी को लेकर बहुत सारे अंदेशे थे, बहुत सारे सवाल थे, उनकी सुरक्षा को लेकर, उनकी शारीरिक-मानसिक हालत को लेकर. लेकिन अब रेस्क्यू टीम के लिए आगे की लड़ाई ज्यादा आसान हो जाएगी. क्योंकि उम्मीद जिंदा हैं.
मजदूरों की तस्वीरों सामने आने से क्या फायदा?
- रेस्क्यू टीम सुरंग के भीतर की एक-एक तस्वीर को मॉनिटर कर पाएगी.
- रेस्क्यू प्लान पर अमल करना अब आसान हो जाएगा.
- संपर्क स्थापित होने से रेस्क्यू को रिस्क फ्री करना भी संभव हो पाएगा.
रेस्क्यू टीम 10 दिनों से जिस कोशिश में लगी थी, अब जाकर वो कामयाब हुई है. पहली बार 6 इंच चौड़ा पाइप सीधे मजदूरों तक पहुंच चुकी है और अब बस उस वक्त का इंतजार है जब बाहर निकालने का रास्ता तैयार हो सके.
किस राज्य के कितने मजदूर?
यहां आपको यह भी बता दें कि उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हैं. जिसमें उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हैं. मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित निकालने के लिए एक साथ कई प्लान पर काम चल रहा है. हॉरिजोंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई की जा रही है. सुरंग में जहां मजदूर फंसे हैं वहां, पहाड़ी में ऊपर से भी सुरंग तक पहुंचने की अब कवायद की जा रही है.
उत्तरकाशी में 10 दिन से सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए सरकार और एजेंसियां दिन रात एक किए हैं. लेकिन रेस्क्यू से जुड़ीं एजेंसियों के मुताबिक, 30 से 40 घंटे में सुरंग से खुशखबरी मिल सकती है. इसके लिए तीन तरफ से ड्रिलिंग का प्लान है. सिलक्यारा और बड़कोट की ओर से ड्रिलिंग हो रही है. यानी हॉरिजेंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई का काम जारी है. 170 मीटर की पेरपेंडिकुलर हॉरिजोंटल ड्रिलिंग का भी प्लान है.
सिलक्यारा सुरंग के ठीक ऊपर से ही वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है...
1. पहाड़ के ऊपर से सीधी खुदाई कर प्लेटफॉर्म बनाने का काम कल तक पूरा होगा, SJVNL के पास 45 मीटर तक मशीनें पहुंच चुकीं हैं, लेकिन खुदाई 86 मीटर होनी है.
2. मजदूरों को हर एक घंटे में खाना दिया जा रहा है. सुबह फल भेजे गए थे. फिर दिन में खिचड़ी, दलिया, साबूदाना, सोयाबीन बोतल में भरकर मजदूरों तक पहुंचाए गए. इसके बाद रात में मजदूरों को पुलाव भी दिया गया.
3.सुरंग के बड़कोट मुहाने से रेस्क्यू टनल बनाई जा रही है, अगर रेस्क्यू के बाकी प्लान फेल हो गए तो इससे मजदूरों को निकाला जाएगा, ये टनल 8 मीटर से ज्यादा तक बन चुकी है.
उत्तरकाशी की जिस सुरंग में हादसा हुआ है, उसके दोनों छोर के बीच में मजदूर फंसे हैं. इसीलिए सिलक्यारा और बड़कोट दोनों छोर से ड्रिलिंग की जा रही है.
अब समझिए कहां फंसे हैं मजदूर...
सिलक्यारा छोर से मजदूर अंदर गए थे. 2340 मीटर की सुरंग बन चुकी है. इसी हिस्से में 200 मीटर की दूरी पर मलबा गिरा है. मलबा करीब 60 मीटर लंबाई में है. यानी मजदूर 260 मीटर के ऊपर फंसे हैं. लेकिन मजदूरों के पास मूव करने के लिए दो किलोमीटर का इलाका है. 50 फीट चौड़ी रोड और दो किलोमीटर लंबाई में वो मूव कर सकते हैं. इसी 60 मीटर मलबे में से 24 मीटर से ज्यादा ड्रिलिंग हो चुकी है. यानी करीब 36 मीटर हिस्सा भेदना है, जहां दिक्कत आ रही है, क्योंकि कुछ चट्टानें भी गिरी हैं.
बड़कोट के दूसरे छोर पर 1740 फीट सुरंग बन चुकी है. अब यहां से ड्रिलिंग शुरू हुई है. लेकिन यहां से 480 मीटर तक ड्रिलिंग करनी होगी, तब जाकर मजदूरों तक पहुंच पाएंगे. तीसरा सिरा ऊपर से पहाड़ को ड्रिल करके मजदूरों तक पहुंचना है.
इसके दो प्वाइंट हैं. एक प्वाइंट पर ड्रिल करेंगे तो 86 मीटर खोदकर सुरंग तक पहुंच जाएंगे. दूसरा प्वॉइंट ऊंचाई पर है. यहां से ड्रिल करेंगे तो 325 मीटर ड्रिल करके ही सुरंग तक जा पाएंगे. श्रमिकों के परिवारों के साथ पूरा देश दुआ कर रहा है कि टनल में फंसे सभी मजदूर जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर आ जाएं.
सुरंग में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू कितना मुश्किल है, उसे ऐसे समझिए कि अब तक सरकार थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की मदद ले चुकी है. कई इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे हैं. लेकिन सच तो ये है कि अभी भी रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां पहाड़ की तरह खड़ी हैं. राहत कार्य में जुटीं एजेंसियां भरोसा जता रहीं हैं कि वो मलबा चीरकर मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालकर ही चैन की सांस लेंगी.
रेस्क्यू टीम के सामने क्या चुनौतियां?
सुरंग में सुरक्षित मजदूरों की तस्वीरों ने राहत तो दी है, मगर मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लेना अभी इतना आसान नहीं है, इंडोस्कोपिक कैमरे के जरिए ये तस्वीरें बाहर आई हैं, मजदूर पीले और सफेद हेलमेट पहने हुए दिख रहे हैं, इन तस्वीरों ने मजदूरों के सकुशल होने का भरोसा तो दिया है मगर अभी एक चट्टानी सफर है जिसे तय करना है. रेस्क्यू टीम की कोशिश एक है तो खतरे ग्यारह हैं. आखिर अब रेस्क्यू टीम के सामने चुनौतियां क्या हैं वो समझिए,
- सबसे बड़ी चुनौती 60 मीटर मलबे को पार करना है.
- 24 मीटर तक मलबे में ड्रिलिंग हो चुकी है.
- 40 मीटर की ड्रिलिंग और बाकी है.
- सबसे बड़ा खतरा ड्रिलिंग के दौरान कंपन का है.
- डर है कि ड्रिलिंग हुई तो कहीं और मलबा ना गिर जाए.
पूरी सावधानी से मजदूरों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है, रेस्क्यू ऑपरेशन में अंतरराष्ट्रीय टनल एक्सपर्ट में अर्नाल्ड डिक्स भी शामिल हैं. आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने उम्मीद जाहिर की सभी मजदूर सुरक्षित निकाल लिए जाएंगे. इसी भरोसे पर तो वो 41 परिवार हैं जिनके अपने सुरंग में फंसे हुए हैं, उम्मीद कीजिए कि मजदूरों के सुरक्षित निकलने का इंतजार जल्द खत्म होगा और मजदूर सकुशल बाहर आएंगे.