उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित डामटा के पास रविवार को हुई बस दुर्घटना ने हर किसी को झकझोर दिया. 26 लोगों की मौत का दर्द अभी भी महसूस किया जा सकता है. दुर्घटना से पहले ही एक घटना से कुछ यात्रियों को लगने लगा था कि उनके साथ कुछ बुरा होने वाला है. फिर भी चारधाम यात्रा की ओर उनके कदम बढ़ चले.
मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिले के तीर्थयात्रियों ने भी 20 मई को चलते समय ये कभी नहीं सोचा होगा कि उनकी ये यात्रा दर्दनाक होने वाली है. दो बसों में चढ़े ये यात्री महियर, चित्रकूट, इलाहाबाद, विंध्यवासिनी, बनारस, सीतामढ़ी, जनकपुर जैसे पवित्र स्थलों की यात्रा करने के बाद 2 जून को हरिद्वार पंहुचे थे. यहां उन्हें प्रशासन ने रोक दिया, क्योंकि बस चारधाम यात्रा के लिए पंजीकृत नहीं थी.
इस दौरान यात्रियों को विधिवत यात्रा कराने के लिए अनुभवी मैनेजर साथ होते हैं. उसका काम रहने, खाने और परिवहन आदि की व्यवस्था करना होता है. आंखों में आंसू भरे इन यात्रियों के मैनेजर अवस्थी ने बताया कि अपशकुन पहले ही महसूस हो गया था. प्रमुख मैनेजर श्याम सुंदर खरे को गोरखपुर आते-आते ही सीने में दर्द होने लगा था. उन्हें अयोध्या में एडमिट कराकर उनके घरवालों को बुलाया गया, लेकिन घर ले जाते ही उन्होंने दम तोड़ दिया. फिर भी यात्रियों ने हिम्मत नहीं हारी ओर चारधाम यात्रा की ओर बढ़ चले.
रविवार शाम करीब 7 बजे ऋषिकेश से यमुनोत्री धाम जा रही बस जैसे ही डमाटा से 2 किलोमीटर आगे पहुंची, वैसे ही अचानक अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गई. खाई में गिरने से बस के परखच्चे उड़ गए. इस हादसे में 26 लोगों की जान चली गई और चार लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए.
इस दौरान परिवहन विभाग के एआरटीओ जितेंद्र चंद्र ने घटनास्थल में पंहुच कर अपने कंधों पर शवों को लादकर सड़क तक पंहुचाना शुरू कर दिया. स्थानीय लोगों ने इस अधिकारी की तारीफ. घटनास्थल पर पहुंचे परिवहन मंत्री ने उन्हें सम्मानित करने की बात कर हौसलाफ़जाई की.
सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटनास्थल का दौरा किया. रोते-बिलखते छतरपुर के यात्रियों को ढांढस बंधाया. शवों को वायुसेना के सहायता से खुजराहों एयरपोर्ट पंहुचाने की व्यवस्था की गई. अब इन शवों को उनके घर तक पहुंचाया जाएगा.