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बूंद-बूंद टपकते पानी से नहाए, मोबाइल पर खेला लूडो... झारखंड के मजदूर ने बताया अंधेरी सुरंग में कैसे दिखी जिंदगी की उमंग

उत्तरकाशी सुरंग में फंसे झारखंड के मजदूर चमरा ओरांव ने बाहर आने के बाद बताया कि पहले 2 से 3 दिन तक तो उन्हें लगा था कि वो शायद ही बच पाएंगे. लेकिन एक दूसरे के साथ से उनमें हिम्मत बंधी. वहां एक जगह बूंद-बूंद पानी टपकता था. उसी से वे लोग नहाते थे. टाइम पास के लिए मोबाइल पर लूडो खेलते थे.

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मजदूरों ने टनल से बाहर आते ही की परिवार वालों से बात.
मजदूरों ने टनल से बाहर आते ही की परिवार वालों से बात.

उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग (Uttarkashi Tunnel) में फंसे सभी 41 मजदूर सकुशल बाहर निकाल लिए गए हैं. बाहर आते ही मजदूरों के चेहरे ऐसे खिल उठे मानो उन्होंने सदियों बाद दोबारा से जिंदगी की सुबह देखी हो. 17 दिन अंधेरी सुरंग में जिंदगी गुजारने वाले मजदूरों की हिम्मत की जितनी दाद दी जाए उतनी कम हैं. अब जब वे बाहर आ गए हैं तो बता रहे हैं कि सुरंग में उन्होंने क्या-क्या किया?

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सुरंग में फंसे झारखंड के मजदूर चमरा ओरांव ने बाहर आने के बाद 'आजतक' को बताया कि पहले 2 से 3 दिन तक तो उन्हें लगा था कि वो शायद ही बच पाएंगे. लेकिन एक दूसरे के साथ से उनमें हिम्मत बंधी. वहां एक जगह बूंद-बूंद पानी टपकता था. उसी से वे लोग नहाते थे. टाइम पास के लिए मोबाइल पर लूडो खेलते थे. कभी ग्रुप में बैठकर अपने-अपने परिवारों के किस्से सुनाते थे. जब भी किसी की हिम्मत टूटती को उसका हौसला ये कहकर बढ़ाते कि अरे भाई टेंशन मत लो, बाहर हम जरूर निकलेंगे.

चमरा ने बताया कि शुरुआत में मुरमुरे आदि खाकर भूख मिटाई. सुरंग के अंदर काफी स्पेस था. शौच के लिए एक स्थान निर्धारित कर रखा था. सुरंग के अंदर इधर-उधर भटक कर भी टाइम पास कर लेते थे. पहले लगा कि ज्यादा नहीं 4-5 दिन में बाहर निकल ही जायेंगे. लेकिन बोलते बोलते ज्यादा दिन बीत गए. फिर भी हमारी उम्मीद नहीं टूटी. खाने के लिए फल और खिचड़ी आती थी.

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ओरांव ने उस दिन की घटना को याद करते हुए कहा कि सब लोग 12 नवंबर की सुबह सुरंग के अंदर काम कर रहे थे. तभी जोरदार आवाज सुनी और एकाएक ढेर सारा मलबा गिर गया. मुझ जैसे कई मजदूर उसी में फंस गए. बाहर नहीं निकल पाए. जब पता चला कि हम लंबे समय के लिए फंस गए हैं तो बेचैन हो उठे. लेकिन हमने उम्मीद नहीं खोई. भगवान, सरकार और बचावकर्मियों का दिल से शुक्रिया है. रेस्क्यू टीम के लोग, अधिकारी पल-पल की जानकारी ले रहे थे और हमें भरोसा दिला रहे थे.

उन्होंने कहा कि जैसे ही हम मंगलवार को सुरंग से बाहर आए तो ऐसा लगा जैसे नई जिंदगी दोबारा मिली हो. इससे पहले इतनी खुशी शायद ही कभी हुई होगी. हम सरकार और रेस्क्यू टीम का धन्यवाद करना चाहते हैं जिन्होंने हमारी मदद की. जैसे ही हम बाहर आए, सभी ने अपने-अपने परिवार वालों से बात की. क्योंकि हमारे सुरंग में फंस जाने से वे लोग भी हमसे कहीं ज्यादा परेशान थे.

बता दें, सिलक्यारा टनल में उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे थे. 

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क्या बोले अधिकारी? 

रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर भारत सरकार के रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी महमूद अहमद ने कहा-  हमें भरोसा था कि हम कामयाब होंगे. सेफ्टी प्रोटोकॉल के बारे में पता था. हम संयमित होकर आगे बढ़ रहे थे. समय लगेगा लेकिन ये निश्चित था कि हम मजदूरों को निकालने में सफल होंगे.

7:47 बजे निकला पहला मजदूर

बता दें, इन मजदूरों को निकालने की खुशखबरी देश को मंगलवार को दिन में ही मिल गई, कि किसी भी पल मजदूर बाहर आ सकते हैं. लेकिन ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा होने में देर शाम हो गई. और शाम 7.47 बजे पहला मजदूर निकाला. रात 7.55 बजे 5 मजदूर निकाले गए. रात 8.05 बजे 9 मजदूर निकाले गए. रात 8.17 बजे 22 मजदूर निकाले. रात 8.27 बजे 33 मजदूर निकाले. रात 8.36 बजे सभी 41 मजदूर निकाले गए. सुरंग से मजदूरों के बाहर निकलने की पहली तस्वीर रात 8.01 बजे सामने आई. मजदूरों को सुरंग से बाहर लाने का वीडियो भी रात 8.05 बजे सामने आया.  इस रेस्क्यू ऑपरेशन में बीते 17 दिनों से सैकड़ों लोग लगे हुए थे.

कौन-कौन थे रेस्क्यू हीरोज?

यह ऑपरेशन बेहद मुश्किल भरा रहा. सरकारों और तमाम बचावकर्मियों को इस सफलता को पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है.रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, जिला प्रशासन, भारतीय थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों, अधिकारियों और कर्मचारियों की अहम भूमिका रही. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात में सफल ऑपरेशन की सराहना करते हुए देश का नेतृत्व किया.

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