सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन को झटका लगा है. घटना को 7 दिन हो चुके हैं और अब तक सिर्फ 24 मीटर पाइप ही मलबे के भीतर जा पाई है. कल शाम 4:00 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन ठप पड़ा हुआ है. ड्रिलिंग के दौरान होने वाले कंपन से रेस्क्यू टीम की ओर मलबा गिर रहा है. ड्रिलिंग में इस्तेमाल की जा रही अमेरिकी ऑगर मशीन में भी तकनीकी खराबी आ रही है.
बताया जा रहा है कि मशीन की बेयरिंग खराब हो गई है, जिससे यह आगे नहीं बढ़ पा रही है और बार-बार ऊपर की ओर उठ रही है. आज इंदौर से अतिरिक्त ऑगर ब्लेड रेस्क्यू साइट पर पहुंचेगी. एक विशेष टीम सुरंग के ऊपरी हिस्से का मुआयना कर चुकी है, ताकि वर्टिकल ड्रिलिंग की संभावनाओं को भी देखा जाए. अगर सुरंग के सामने की जा रही होरिजेंटल ड्रिलिंग से मजदूरों को बाहर निकालने में कामयाबी नहीं मिलती है, तो पहाड़ के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग करके सुंरग के अंदर फंसे मजदूरों तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी.
सुरंग के बाहर पुलिस, NDRF, SDRF टीमें कर रही हैं मॉक ड्रिल
उत्तराखंड सरकार रेस्क्यू अभियान से जुड़ी हर पल की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को साझा कर रही है. टनल के अंदर की सुरक्षा का जिम्मा ITBP और NDRF को सौंपा गया है. उत्तराखंड पुलिस, NDRF और SDRF की टीमें टनल के बाहर मॉक ड्रिल कर रही हैं. उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि पुलिस, NDRF, SDRF, ITBP, मेडिकल टीमों व अन्य डिजास्टर रिस्पांस टीमों द्वारा श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने व जरूरत पड़ने पर आपातालीन कवायदों को अंजाम देने के लिए मॉक ड्रिल करवाया जा रहा है.
सुरंग में फंसे श्रमिकों को खाना-पानी और ऑक्सीजन दी जा रही
उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं. उनको समय-समय पर खाना-पानी व ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. साथ ही उनका मनोबल बनाए रखने के लिए परिजनों से उनकी लगातार बातचीत करवाई जा रही है. पुलिस हेल्प डेस्क से भी परिजनों से सम्पर्क साधकर पल-पल की अपडेट दी जी गही है. यह पूछे जाने पर कि रेस्क्यू में और कितना वक्त लगेगा? एसपी यदुवंशी ने कहा- यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सुरंग के अंदर कहां तक मलबा गिरा है. फिलहाल अनुमान है कि यह टनल के मुख्य द्वार से 60 मीटर हिस्से में फैला है.
एक घंटे में हो पा रही 5 मीटर तक ड्रिलिंग, कुल 60 मीटर होनी है
अमेरिकी ऑगर मशीन एक घंटे में 5 मीटर तक ड्रिलिंग कर पा रही है. हालांकि बीच-बीच में चट्टान आने से ड्रिलिंग में दिक्कतें भी आ रही हैं. मलबे में ड्रिल होने के बाद अंदर पाइप डालकर एलाइनमेंट फिट करने और वेल्डिंग करने में करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लग रहा है. कुल 60 मीटर के करीब ड्रिलिंग होनी है. सिल्क्यारा टनल की कार्यदायी संस्था NHIDCL के निदेशक अंशु मनीष खलगे ने बताया कि रेस्क्यू अनवरत जारी रहे, इसके लिए बैकअप के तौर पर इंदौर से एक और पुशअप मशीन एयरलिफ्ट की जा रही है, जो शनिवार तक यहां पहुंचेगी.