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अमेरिकन ऑगर मशीन ने शुरू की चट्टानों की कटाई, उत्तरकाशी टनल में फंसे 40 मजदूरों के रेस्क्यू की बढ़ीं उम्मीदें

रेस्क्यू टीम से जुड़े अफसरों के मुताबिक इसके पहले जिस ड्रिलिंग मशीन की मदद ली जा रही थी, वह काफी धीमी थी और उसमें तकनीकी समस्याएं भी आ रही थीं. मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मलबा गिरने से भी मशीनों को काफी नुकसान पहुंचा था. इसलिए अब अमेरिकन ऑगर मशीन से खुदाई की जा रही है.

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रेस्क्यू साइट पर ऑगर मशीन शुरू करने से पहले पूजा की गई.
रेस्क्यू साइट पर ऑगर मशीन शुरू करने से पहले पूजा की गई.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए आज पांचवे दिन युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस बीच मलबे को काटने के लिए अब अमेरिकन जॉइंट ऑगर मशीन बुला ली गई है. सेटअप के बाद मशीन ने कटाई का काम भी शुरू कर दिया है. गुरुवार को मशीनों के रेस्क्यू साइट पर पहुंचने के बाद पहले उसकी पूजा की गई और फिर मलबा हटाने का काम शुरू किया गया.

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अमेरिकन ऑगर मशीन के काम शुरू करने के बाद अब पिछले 100 घंटों से सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बचा लेने की उम्मीदें और ज्यादा बढ़ गई हैं. अब आगे के रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए इस मशीन की मदद ली जाएगी. इससे रेस्क्यू टीम को ड्रिलिंग करने में आसानी होगी. इस मशीन की मदद से ही ड्रिलिंग कर 900 एमएम के पाइप इस तरफ से उस तरफ तक पहुंचाने का प्लान बनाया गया है.

पांच मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से काटेगी चट्टान

रेस्क्यू टीम अगर स्टील के पाइप को मलबे में छेद कर मजदूरों तक पहुंचाने में कामयाब हो जाती है तो इस पाइप के जरिए टनल में फंसे मजदूरों को निकाला जा सकता है. इस मशीन की खासियत है कि यह पांच मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टनल को काटने में सक्षम है. रेस्क्यू टीम से जुड़े अफसरों के मुताबिक इसके पहले जिस ड्रिलिंग मशीन की मदद ली जा रही थी, वह काफी धीमी थी और उसमें तकनीकी समस्याएं भी आ रही थीं. मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मलबा गिरने से भी मशीनों को काफी नुकसान पहुंचा था. 

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नई मशीन लगाने का ये है मकसद

NHIDCL डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो ने बताया कि यह मशीन 10 घंटे में 50 मीटर तक खुदाई कर लेगी. उन्होंने कहा, नई मशीन लाने का मकसद फंसे लोगों को निकालने का रास्ता तैयार करने की प्रक्रिया में तेजी लाना है. मनीष खलखो ने बताया कि फंसे हुए मजदूरों को खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने के लिए मलबे में पाइप डाला गया है. पहले इसे ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए डाले गए पाइप के माध्यम से किया जा रहा था.

श्रमिकों के संपर्क में हैं अधिकारी

उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला ने बताया कि अधिकारी फंसे हुए श्रमिकों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं और उनसे धैर्य ना खोने के लिए कह रहे हैं. टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह ने भी सुरंग का दौरा किया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें फंसे हुए मजदूरों को निकालने में तेजी लाने के लिए सभी तकनीकी सहायता प्रदान कर रही हैं. उधर, आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इंदौर में होने के बावजूद सिल्क्यारा में बचाव अभियान की लगातार निगरानी कर रहे हैं.

भोजन और दवाओं की कर रहे पूर्ति

ये मजदूर सुरंग में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को भोजन और दवाओं की आपूर्ति की जा रही है. रेस्क्यू दल श्रमिकों के साथ नियमित बातचीत कर रहा है, ताकि मजदूरों में जिंदा रहने की आशा बनी रहे. दूसरी ओर मजदूरों को निकालने के लिए पास बनाने का प्रयास भी जारी है. इसके लिए वायुसेना के तीन परिवहन विमानों से एक के जरिए भारी ड्रिलिंग मशीन को दिल्ली से एयरलिफ्ट किया गया.

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पांच दिनों से जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन

दरअसल, ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बन रही है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इन्हें निकलने के लिए पांच दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है. लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली. उधर, कुछ मजदूरों ने सुरंग के पास विरोध प्रदर्शन भी किया और रेस्क्यू के धीरे होने का आरोप लगाया.

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