
उत्तरकाशी के सिल्कयारा में सुरंग के अंदर 11 दिन से फंसे 41 मजदूरों से डॉक्टर ने बात की. उनकी सेहत संबंधित समस्याओं के बारे में जाना और नई फूड पाइप लाइन के जरिए दवाइयां भिजवाईं. इसी के साथ कुक संजीत राणा ने बताया कि वो सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए खाना तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मजदूरों के लिए दलिया और खिचड़ी बनाई जा रही है, जिसमें बेहद कम मसालों और तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है.
बता दें, सिल्कयारा में सुरंग का निर्माण कार्य चल रहा था. 12 नवंबर को अचानक लैंड स्लाइड हुआ और मलबा ढहकर सुरंग में जाकर समां गया. इस घटना में 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए. तब से सरकार से लेकर सुरक्षा एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में लगी हैं. इस रेस्क्यू ऑपरेशन को आज एक बड़ी सफलता मिली है. जिस चट्टान की वजह से टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, रेस्क्यू टीम ने उस चट्टान को भेदने में कामयाबी हासिल कर ली है.
मलबे में अब तक 36 मीटर ड्रिलिंग की जा चुकी है. इसमें पहले 24 मीटर तक 900 एमएम के पाइप डाले गए हैं. इसके बाद 800 एमएम के पाइपों का इस्तेमाल किया जा रहा है. बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे को 11 दिन बीत चुके हैं. अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में दिल्ली से लेकर नॉर्वे तक के एक्सपर्ट की मदद ली रही है.
मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन, सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाना ही मुख्य प्राथमिकता है.
बता दें, चार इंच के कंप्रेसर ट्यूब के जरिए टनल में फंसे मजदूरों से उनके परिजन लगातार बात कर रहे हैं. पहले सूखे मेवे जैसी खाने की चीजें पतले पाइप से भेजी जा रही थीं. लेकिन अब बड़ी मात्रा में मजदूरों को भोजन भेजा जा सकता है. साथ ही मजदूरों से आसानी से बातचीत भी हो पा रही है.
बिहार के बांका से आई सुनीता हेंब्रम, जिनके बहनोई प्रदीप किस्कू फंसे हुए मजदूरों में से हैं, ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, "मैंने आज सुबह अपने बहनोई से बात की. पहले उनकी आवाज इतनी साफ नहीं आ रही थी. लेकिन अब उनसे आसानी से बात हो पा रही है. खाने के लिए नई फूड पाइप से उन लोगों को संतरे भी भेजे जा रहे हैं.''
अधिकारियों की मानें तो अब मजदूरों को खिचड़ी और दलिया भेजा जाएगा. साथ ही सेब के स्लाइस और केले भी भेजे जाएंगे. इसके अलावा उन्हें मोबाइल और चार्जर्स भी भेजे जाएंगे.
उधर, श्रमिकों से बात करने वाले जनरल फिजिशियन डॉ. पीएस पोखरियाल ने बताया कि उनमें से कुछ ने पेशाब करते समय जलन की शिकायत की है. इसलिए उन्हें इलेक्ट्रोलाइट पाउडर के पैकेट, मल्टीविटामिन टैबलेट और अवसाद रोधी दवाएं भेजी गई हैं. उत्तराखंड की महानिदेशक (स्वास्थ्य) विनीता शाह ने भी जिले के विभिन्न अस्पतालों में 41 श्रमिकों को निकालने के बाद स्थानांतरित करने की व्यवस्था की निगरानी के लिए सिल्क्यारा का दौरा किया है. जैसे ही मजदूरों को सुरंग से निकाला जाएगा. उन्हें फिर सीधे अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया जाएगा.
वहीं, मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम पुष्कर धामी से बात की और रेस्क्यू के बारे में जानकारी ली. धामी ने कहा कि मजदूरों की सुरक्षा हमारी सबसे प्राथमिकता है. हम जल्द से जल्द उन्हें सुरंग से बाहर निकालेंगे.
टूथब्रश और कपड़े पहुंचाने की कोशिश
नोडल अधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया कि पाइप लाइन के जरिए एक माइक्रोफोन और स्पीकर श्रमिकों के पास भेजा गया है. उसी के जरिए उनसे बातचीत हो पा रही है. वे लोग सही सलामत हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी ने मिलकर मोर्चा संभाला हुई है. हमने हिम्मत नहीं हारी है. हम इंतजार कर रहे हैं कि कब सुरंग से बाहर निकल सके. डॉ. नीरज ने बताया कि मजदूरों को कुछ कपड़े, टूथब्रश, टॉवल और अंडर गारमेंट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
अपर सचिव महमूद अहमद ने बताया कि 39 मीटर तक हमारी ड्रिलिंग हो चुकी है और 800 मिलीमीटर की पाइप वहां तक पहुंच चुकी है. यह हमारे लिए काफी खुशी की बात है कि हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. जब तक हम 45 से 50 मीटर तक आगे नहीं पहुंचते तब तक हम नहीं कह पाएंगे. बड़कोट की तरफ से भी हम होरिजेंटल ड्रिलिंग कर रहे हैं और रात को हमने तीसरा ब्लास्ट कर लिया है और लगभग 8 मीटर वहां से प्रवेश कर चुके हैं.
कहां-कहां से हैं टनल में फंसे मजदूर
सिलक्यारा टनल में उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हैं. मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित निकालने के लिए एक साथ कई प्लान पर काम चल रहा है. होरिजेंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई की जा रही है. सुरंग में जहां मजदूर फंसे हैं. वहां पहाड़ी में ऊपर से भी सुरंग तक पहुंचने की कवायद की जा रही है. तीन तरफ से ड्रिलिंग का प्लान है. सिलक्यारा और बड़कोट की ओर से ड्रिलिंग हो रही है. यानी हॉरिजेंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई का काम जारी है. 170 मीटर की पेरपेंडिकुलर हॉरिजेंटल ड्रिलिंग का भी प्लान है.
थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट्स से ली गई मदद
सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब तक सरकार थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की मदद ले चुकी है. कई इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे हैं. लेकिन अभी भी रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां पहाड़ की तरह खड़ी हैं. राहत कार्य में जुटीं एजेंसियाों का कहना है कि वो मलबा चीरकर मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालकर ही चैन की सांस लेंगी. दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि NHIDCL ने सिल्कयारा छोर से हॉरिजेंटल बोरिंग ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिया है जिसमें एक बरमा मशीन शामिल है.