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सुरंग से एक-एक कर ऐसे बाहर निकले 41 मजदूर, देखें Inside Video

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में फंसे सभी मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. एनडीआरएफ की टीमों ने सभी मजदूरों को स्ट्रेचर और रस्सी की मदद से पाइप के जरिए बाहर निकाला. इस मिशन में 48 मीटर की ड्रिलिंग के बाद ऑगर मशीन मलबे में ही फंस गई थी. इसके बाद अंतिम 10 से 12 मीटर की खुदाई रैट माइनर्स की मदद से की गई.

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Uttarkashi tunnel evacuation
Uttarkashi tunnel evacuation

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित सिल्क्यारा की निर्माणाधीन सुरंग में पिछले 17 दिनों से 41 मजदूर फंसे हुए थे. कई दिनों तक चले बचाव अभियान के बाद मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है. इन मजदूरों को एम्बुलेंस के ज़रिए सीधा चिन्यालीसौड़ के स्वास्थ्य केंद्र लाया जाया गया. डॉक्टर्स की निगरानी में उनका यहां इलाज किया जा रहा है.

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मजदूरों स्ट्रेचर और रस्सी की मदद से पाइप के जरिए सुरंग से निकले मजदूर

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल में फंसे सभी मजदूरों को 60 मीटर की एक 800 MM की पाइप के जरिए निकाला गया. एनडीआरएफ की टीमों ने सभी मजदूरों को स्ट्रेचर और रस्सी की मदद से पाइप के जरिए बाहर निकाला है. सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए बचाव अभियान अब से लगभग 12 दिन पहले शुरू हुआ था, जो अब जाकर खत्म हुआ.

जब ऑगर मशीन भी हुई नाकाम

शुरुआत में बचाव दल ने हॉरिज़ोंटल खुदाई शुरू की ताकि सीधे रास्ते से सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचा जा सके. मलबे में सरिए और पत्थरों से टकराने की वजह से 25 नवंबर को 48 मीटर ड्रिलिंग करने के बाद ऑगर मशीन को नुकसान पहुंचा था. आख़िरकार वह टूट गयी जिसके बाद मशीन के पूर्जे को भी मलबे से निकलाने में भी काफी वक्त लगा. ऑगर मशीन से ड्रिलिंग मशीन में नाकाम होने के बाद बाद वर्टिकल खुदाई शुरू की गयी.  साथ ही हॉरिजोंटल खुदाई के अंतिम 10 से 12 मीटर की खुदाई मैनुअली की गयी.

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रैट माइनर्स की मदद से अंतिम 10 से 12 मीटर की खुदाई

सिल्क्यारा की निर्माणाधीन सुरंग की मैनुअली खुदाई के लिए 6 'रैट माइनर्स' की एक टीम को सिल्क्यारा बुलाया गया. रैट माइनर्स की तरफ से अंतिम 10 से 12 मीटर की मैनूअल खुदाई के बाद  800 मिलीमीटर के व्यास वाले पाइप अंदर डाले गए, जिनके रास्ते मजदूरों को बाहर निकालने की तैयारी की गई. सुरंग से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

माइनर्स बारी-बारी से रेस्क्यू के लिए बनाई गई पाइपलाइन के अंदर छोटा सा फावड़ा लेकर गए और छोटी ट्रॉ​ली में बार-बार मलबा लादकर बाहर निकाला. इससे पाइप को मजदूरों तक पहुंचने का रास्ता मिल गया. इस दौरान रैट माइनार्स के पास ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और पाइपलाइन के अंदर एयर सर्कुलेशन के लिए ब्लोअर मौजूद था.
 
सॉफ्टकटिंग मशीन भी हुई की नाकाम

इससे पहले 12 नवंबर को हादसे के बाद सॉफ्टकटिंग मशीन लगाई गई थी. उससे सुरंग की दीवारों पर कंट्रीट स्प्रे किया गया था. ड्रिल भी हुआ. लेकिन नाकामी हाथ लगी. तब 13 नवंबर ऑगर मशीन को सुरंग के काम में लगाया गया. हालांकि वो मशीन भी जवाब दे गई. रेस्क्यू तेज करने के लिए 17 नवंबर को अमेरिकी ऑगर मशीन लाई गई. 21 नवंबर को उसमें भी दिक्कत आ गई. ड्रिलिंग के दौरान मलबे में रॉड मिला और काम रूक गया. 

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पीएम मोदी ने दी रेस्क्यू मिशन की सफलता पर किया ट्वीट

सिल्क्यारा ऑपरेशन में सफलता पाने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है. टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है. मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं. यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे. इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है. मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं. उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है. इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है.' 

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