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खत्म हुआ इंतजार, 17 दिन बाद निकले मजदूर... सुरंग के बाहर आतिशबाजी और जयकारे

टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है. पाइप और स्ट्रेचर की मदद से इन मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. सुरंग के बाहर आने पर सीएम धामी ने मजदूरों से मुलाकात की और माला पहनाकर उनका स्वागत किया. इन मजदूरों को मेडिकल चेकअप के लिए यहां से एंबुलेंस की मदद से अस्पताल ले जाया गया.

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सुरंग से मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है
सुरंग से मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है

पिछले 17 दिनों से टनल की खुदाई में लगी रेस्क्यू टीम को आज (28 नवंबर) सफलता हाथ लगी है. टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है. पाइप और स्ट्रेचर की मदद से इन मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. सुरंग के बाहर आने पर सीएम धामी ने मजदूरों से मुलाकात की और माला पहनाकर उनका स्वागत किया. इन मजदूरों को एंबुलेंस की मदद से अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनका मेडिकल चेकअप किया जाएगा.

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पढ़ें खबर से जुड़े अपडेट्स:

- कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मजदूरों को बाहर निकालने में जुटीं टीम को धन्यवाद दिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "17 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकाला जा रहा है. पूरा देश श्रमिकों के उल्लेखनीय लचीलेपन और धैर्य को सलाम करता है. राष्ट्र पूरी बचाव टीम के समर्पण, कौशल और दृढ़ता की भी सराहना करता है और उन्हें तहे दिल से धन्यवाद देता है.

- उत्तरकाशी में स्थानीय लोगों ने मजदूरों के बाहर आने पर सिल्क्यारा सुरंग के बाहर मिठाइयां बांटी. 

- सीएम पुष्कर सिंह धामी बाहर निकाले गए श्रमिको से मुलाकात कर रहे हैं. केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल ( से.नि) वीके सिंह भी मौजूद हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रमिको और रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए कर्मियों के मनोबल और साहस की जमकर सराहना की.

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- एनडीआरएफ की टीमों ने सभी मजदूरों को स्ट्रेचर और रस्सी की मदद से पाइप के जरिए बाहर निकाला.

-टनल से मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है.

रैट होल माइनर्स का बड़ा योगदान

बता दें कि टनल की ड्रिलिंग के लिए पहले अमेरिकी ऑगर मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा था. लेकिन 48 मीटर खुदाई के बाद मशीन के ब्लैड टूट गए और रेस्क्यू ऑपरेशन को रोकना पड़ा. इसके बाद  से आगे की खुदाई मैनुअली की गई. इसके लिए 6 'रैट माइनर्स' की एक टीम को सिल्क्यारा बुलाया गया.

रैट माइनर्स से आजतक ने एक्सक्लूसिव बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि माइनर्स बारी-बारी से रेस्क्यू के लिए बनाई गई पाइपलाइन के अंदर छोटा सा फावड़ा लेकर गए और छोटी ट्रॉ​ली में एक बार में 6-7 किलो मलबा लादकर बाहर निकाला. इस दौरान रैट माइनार्स के पास ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और पाइपलाइन के अंदर एयर सर्कुलेशन के लिए ब्लोअर मौजूद था.

रैट माइनर्स के पास पुराना अनुभव

दरअसल, रैट माइनर्स के पास दिल्ली और अहमदाबाद में इस तरह का काम करने का अनुभव है. उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा था कि 'हम एक ही समुदाय के हैं- हम मजदूर हैं, सुरंग के अंदर जो फंसे हैं वे भी मजदूर हैं. हम उन 41 मजदूरों को बाहर लाना चाहते हैं. हम भी किसी दिन ऐसे फंस सकते हैं, तब वो हमारी मदद करेंगे.' रैट माइनर्स ने यह भी कहा था कि हमें ऐसे काम का अनुभव है, कई साल से हम ये कर रहे हैं. इतना भरोसा है कि हम ये कर लेंगे.

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