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मॉनसून में मुसीबत भरी आस्था की डगर, बद्रीनाथ में फंसे हजारों श्रद्धालु

आजतक की टीम किसी तरह से पैदल चल कर लामबगड़ के उस छोर तक पहुंची, जिस तरफ से यात्रा मार्ग पहले ही बंद किया जा चुका था. तमाम ऐसे हिस्से जो एक तरफ अलकनंदा का रौद्र रूप देख रहे थे तो दूसरी तरफ भूस्खलन की मार झेल रहे थे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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पर्वतीय राज्य उत्तराखंड बादल फटने और भारी बारिश के कारण आपदाओं से जूझ रहा है. भूस्खलन की घटनाओं के कारण प्रदेश के कई इलाकों का संपर्क टूट गया है. इसका प्रभाव बद्रीनाथ यात्रा पर भी पड़ रहा है.

बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं को तमाम दुश्वारियों से जूझना पड़ रहा है. बद्रीनाथ धाम की यात्रा, यात्रा पर निकले दर्शनार्थियों का हाल जानने के लिए आजतक की टीम ने यात्रा मार्ग के कई स्थानों पर पहुंच कर ग्राउंड का हाल देखा.  

कई दिनों से जबरदस्त बारिश की वजह से लामबगड़ में अवरूद्ध मार्ग से मलबा हटाने का कार्य मौसम के कुछ समय के लिए भी साफ होते ही जेसीबी द्वारा प्रयास शुरू कर दिया जा रहा. मौसम ठीक हुआ, तो तुरंत ही दो जेसीबी मशीन मलबा हटाने में जुट गई. यह खबर जैसे ही पुलिस के माध्यम से बद्रीनाथ धाम पहुंची, कई दिनों से फंसे यात्रियों के चेहरे खुशी से खिल उठे.

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बद्रीनाथ की ओर से तुरंत ही गाड़ियों को छोड़ा जाने लगा ताकि किसी तरह से तमाम यात्री जोशीमठ पहुंच सकें. ऐसा हुआ भी ,मगर यह खुशी केवल सौ पचास यात्रियों को ही नसीब हो पाई.

आजतक की टीम किसी तरह से पैदल चल कर लामबगड़ के उस छोर तक पहुंची, जिस तरफ से यात्रा मार्ग पहले ही बंद किया जा चुका था. तमाम ऐसे हिस्से जो एक तरफ अलकनंदा का रौद्र रूप देख रहे थे तो दूसरी तरफ भूस्खलन की मार झेल रहे थे. इन दुश्वारी भरी राहों के बाद वह स्थान आया, जहां मानों सड़कों का अस्तित्व हो ही नहीं.

आज तक की टीम जैसे ही लामबगड़ के जोशीमठ की तरफ वाले छोर पर पहुंची तो प्रशासन के कुछ लोग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में दोनों ही छोर से लगातार जेसीबी मशीनें काम कर रही थीं. भूस्खलन के कारण सड़क पर गिरे मलबे को साफ करने की कोशिश की जा रही थी.

शुरुआती दौर में जैसे ही रास्ता साफ हुआ, 15 गाड़ियों को धीरे-धीरे निकाल दिया गया. कुछ यात्रियों को पहाड़ के रास्ते रस्सी के सहारे भी निकालना शुरू किया गया. करीब 150 लोग ऐसे रहे जो कठिन राह पार कर किसी तरह से निकल पाए. तीर्थ यात्रियों को सकुशल वापसी की खुशी तो थी, लेकिन हुई परेशानी और नुकसान की मायूसी भी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी.

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पेड़ से बंधी रस्सियों के सहारे पार किया फिसलन भरा रास्ता

जोशीमठ के रास्ते में श्रद्धालुओं को एक बेहद ऊंचे पहाड़ पर फिसलन भरे रास्तों को पेड़ों पर बंधी रस्सियों के सहारे पार करने की कठिन चुनौती से होकर गुजरना पड़ा. आज तक की टीम भी इसी खतरनाक रास्ते से पहाड़ से नीचे उतरी.

लोग किसी तरह गिरते पड़ते रस्सी के सहारे पहाड़ से नीचे उतर रहे थे. क्या बुजुर्ग और क्या युवा, सबका बुरा हाल था. उत्तराखंड पुलिस के तीन सिपाही रस्सियों के सहारे तीर्थ यात्रियों की मदद कर रहे थे. उसी रस्सी के सहारे आजतक की टीम भी वहां से किसी तरह निकलने को बेचैन यात्रियों तक पहुंची.

फंसे हजारों श्रद्धालु, कई वाहन भी

जोशीमठ जाने के रास्ते में लगभग दो हजार श्रद्धालु और छोटे-बड़े 300 से अधिक वाहनों की लंबी कतार अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए. वाहन रास्ते में ही थे कि फिर से बारिश और भूस्खलन शुरू हो गए. एक तरफ कंचनगंगा का नाला उफान पर था तो दूसरी तरफ लामबगड़ पर्वत से भूस्खलन हो रहा था. बीच में फंसे न तो बद्रीनाथ वापस लौट सकते हैं और न ही जोशीमठ जा सकते हैं.

सड़क पर रहने को मजबूर यात्रियों की आस केवल एक दुकान है, जहां थोड़ा-बहुत राशन उपलब्ध है. दुकानदार ने कहा कि जब तक राशन है, तब तक वह किसी को भी भूखा नहीं रहने देगा. राशन खत्म हो जाए तो फिर वह मजबूर हो जाएगा.

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