जब जंगलों के घिरा, ऊंचा-नीचा और थोड़ा पहाड़ीनुमा एक इलाका देश की नई राजधानी की शक्ल लेने लगा तो इनके बीच बसे गांव गायब होने लगे. पेड़ों के साये में रहने वाले परिंदों के बसेरे भी उजड़ने लगे. आज इस शहर में परिंदे नहीं हसरतें उड़ान भरती हैं.