लाल किले पर संकेतों के हिसाब से थोड़ा दर्द है, तो काफी गर्व भी है. आज इसी मंच से देखिए गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रवादी कविसम्मेलन. वीररस से ओत-प्रोत कविताएं पेश की गईं.