आजादी के 70 साल का उत्सव मनाने के लिए आजतक लालकिले पर पहुंचा. जहां कवियों का जमावड़ा लगा. एक आरोप भी कवियों पर लगाया जाता है कि सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को देश को याद करते हैं. नहीं, हमारे जो संस्कार हैं. दरअसल हम दीपावली भी एक दफा मनाते हैं. और होली भी हम एक बार मनाते हैं. लेकिन इस कामना के साथ वो रंग हमेशा रहे. रोशनी हमेशा रहे. तो देशभक्ति की जो आवाज है, जो लालकिले से उठी... वो भी हमेशा-हमेशा ही रहती है.