उत्तराखंड के चम्पावत जिले में 8 मिनट तक चारों तरफ से पत्थर बरसते रहे. जख्म की परवाह किए बगैर लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते रहे. ये सब किसी झगड़े या लड़ाई की वजह से नहीं बल्कि आस्था और परंपरा के नाम पर हुआ. आस्था और परंपरा के नाम पर यह खूनी खेल उचित है?