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किसानों की मेहनत को लूटते सरकारी बाबू

किसानों की मेहनत को लूटते सरकारी बाबू

हर साल देश के करोड़ों किसान खून-पसीना बहाकर गेहूं पैदा करते हैं. सरकार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करके अपनी पीठ थपथपाती है कि उसने किसानों के खून-पसीने की पूरी कीमत चुका दी, लेकिन क्या सचमुच ऐसा होता है. ये जानने के लिए आजतक की टीम ने जब पड़ताल की, तो खुलासा हुआ कि किसानों के खून-पसीने का कम से कम 1600 करोड़ रुपया चूस लेते हैं बिचौलिए और सरकारी बाबू.

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