आंखों में आग और इरादों में बारूद लेकर, खून में लथपथ अग्निपथ पर चलकर फिर आ रहा है विजय दीनानाथ चौहान. फिर वही मांडवा, फिर वही कांचाचीना और फिर वही बदले की कहानी. जहां एक स्कूल टीचर का बेटा अपने पिता की हत्या का बदला एक माफिया सरगना से लेगा.