महंगाई बेकाबू हो चुकी है और इसकी चपेट में सिर्फ और सिर्फ आम आदमी आता है. सरकार हर बार महंगाई कम होने के लिए एक तारीख तय करती है और फिर उस तारीख को अगली तारीख. सरकार के लिए महंगाई का मतलब कागजों पर जारी आंकड़ों से ज्यादा कुछ नहीं, कम से कम सरकार के रवैये से तो यही लगता है.