वो तारीख भुलाए नहीं भूलती, वो तारीख मिटाए नहीं मिटती, वो तारीख एक टीस है, वो तारीख एक तीर है जो आज भी योग गुरू बाबा रामदेव के कलेजे में तीर की तरह चुभी हुई है. इस तारीख के दर्द का हिसाब चुकता करने के लिए बाबा बेचैन हैं. चार जून 2011 की आधी रात को दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा पर चली थीं पुलिस की लाठियां. करीब पांच महीने बाद बाबा ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ हुंकार भरी है और तारीख दी है चार जून 2012.