बाल ठाकरे को डर सताने लगा है कि कहीं उनके साथ ही उनकी पार्टी भी ना खत्म हो जाए. मुंबई में उन्होंने शिवसेना विधायकों की समीक्षा बैठक बुलाई और विधानसभा सत्र के दौरान गायब रहे तेवर पर जमकर खरी-खोटी सुनाई.