‘बाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में है, कौन कब कहां उठेगा, ये तो कोई नहीं जानता.’ जिंदादिली की नयी परिभाषा गढने वाले बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना अब नहीं रहे, लेकिन फिल्म 'आनंद' के किरदार ने उन्हें अमर कर दिया. 'आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं.'