चाहे बर्थ सर्टिफिकेट लेना हो, या फिर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना. सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर जूते घिस जाते हैं तब जाकर काम होता है. लोगों की इसी मुश्किल को खत्म करने के लिए अन्ना हजारे ने सिटीजन चार्टर की मांग की थी. दिल्ली नगर निगम ने अपने दफ्तरों में सिटीजन चार्टर लागू करने का दावा किया. लेकिन जब हमने दफ्तरों का जायजा लिया तो सच्चाई कुछ और मिली. कुछ ऐसा ही हाल दिल्ली के अन्य दफ्तरों का था.