हम सभी चाहते हैं कि हमसे सभी सच बोलें. हम सभी चाहते हैं कि लोग हमारे साथ ईमानदारी से पेश आएं. लेकिन जिंदगी की जद्दोजेहद ऐसी होती है कि ये सारी चीजें हम दूसरों से चाहते हैं, खुद इन पर अमल नहीं कर पाते. वक्त आने पर हमारी जुबान बदल जाती है. हमारी भावनाएं बदल जाती हैं और कई बार हमारा खुद का स्वार्थ इतना बड़ा हो जाता है कि हमें अपने सिवा कोई और नही दिखता. आज हम अपनी इस खास पेशकश में लेकर आए हैं. केबीसी के करोड़पति को और जानने की कोशिश की है कि उसने करोड़पति बनने से पहले जो कहा क्या उस पर आज अमल कर पा रहा है? ये है करोड़पति के साथ सच का सामना.