गुजरात दंगों को 10 साल का वक्त हो चुका है. 10 साल बाद विधानसभा में मानवाधिकार अयोग की रिपोर्ट रखी गई. रिपोर्ट में एक बार फिर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को कठघरे में खड़ा किया गया है. गुजरात में विकास की बयार बहाने वाले मोदी मानवाधिकार मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं.