नरेंद्र मोदी का 72 घंटे का सदभावना उपवास साढ़े पचपन घंटे में ही खत्म हो गया, लेकिन ये बहस अभी भी खत्म नहीं हुई है कि मोदी को टोपी पहनाना आसान नहीं है. मोदी के सदभावना मिशन का तीसरा और आखिरी दिन ना चाहते हुए भी टोपी के नाम हो गया. पर सवाल ये है कि टोपी ना पहन कर क्या मोदी ने गलती की? या फिर गलती उनकी है जिन्होंने मोदी को टोपी पहनाने की कोशिश की?