वक्त के साथ बड़े से बड़ा ज़ख़्म भर जाता है, लेकिन जो हमला हमारे देश के सीने पर आज से ठीक 10 साल पहले हुआ था. उसका ज़ख़्म कभी नहीं भर सकता. कौन भूल सकता है 13 दिसंबर 2001 को हमारी संसद पर हुआ आतंकी हमला. आतंकवादियों से जूझते हुए 9 लोग शहीद हो गए. इस देश को उनकी शहादत का क्या सिला मिला. जिनके अपनों ने कुर्बानी दी. 10 साल बाद क्या उन्हें इंसाफ़ मिला.