स्वामी निगमानंद गंगा को बचाने की ज़िद में भूखे बैठे रहे, किसी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया और जब उन्होंने 115 दिन बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया तो हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक हंगामा हो गया है. प्रशासन अपनी तरफ से सफाई दे रहा है और राजनीति करने वालों को तो बस मौका मिल गया है.