बग़ावत नाम है मज़लूमों और लाचारों के उन दबे हुए जज़्बात का जो सर उठाते हैं तो सरहदों की हदें बेमानी हो जाती हैं. तानाशाहों के ज़ुल्म बेअसर हो जाते हैं. आज हम बात करेंगे साल 2011 में हुईं उन बग़ावतों की जिन्होंने कई अरब मुल्कों को झकझोर कर रख दिया. आज ज़िक्र होगा एक ऐसी इंक़लाबी आवाज़ का जो तब्दील हो गई अरब क्रांति में.