लगता है एमपी में घूसखोरी की बिग सेल लगी है, वरना जिस कर्मचारी के घर भी लोकायुक्त का छापा पड़ता है, वो करोड़पति कैसे निकल आता है. ताजा मामला उज्जैन का है, जहां एक सहायक इंजीनियर के पास 7 करोड़ की सपंत्ति मिली है. यानी सैलरी हजारों में और कमाई करोड़ों में.