नींद के आगे किसी की नहीं चलती. चाहे आप किसी खास जगह, किसी खास व्यक्ति के पास ही क्यों ना बैठे हों. एक बार जो नींद आई तो फिर कुछ नहीं सूझता. अब सूरत में बीजेपी का मंच ही देख लीजिए. नींद थी कि बर्दाश्त ही नहीं हो रही थी.