22 जुलाई 2008 को बीजेपी के तीन सांसदों ने लोकसभा में नोटों की गड्डियां लहराई थीं. दावा किया कि वोट खरीदने के लिए उन्हें पैसे दिए गए थे. तहकीकात हुई तो उंगलियां अमर सिंह पर उठी. हालांकि, पिछले तीन सालों में मामला दम तोड़ता दिखा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद मामले में ऐसी तेजी आई कि अमर सलाखों के पीछे पहुंच गए.