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उस रात आजादी के जश्‍न में कुदरत भी थी साथ

उस रात आजादी के जश्‍न में कुदरत भी थी साथ

एक पूरी सदी के संघर्ष और लाखों लोगों के बलिदान के बाद आयी थी आजादी की वो रात. आधी रात के सन्‍नाटे में जब सारी दुनिया सो रही थी तभी हमसे मिली हमारी आजादी. दो सौ सालों की गुलामी के बाद अब रगों में बहता खून आजादी के साथ हिल्‍लोरे मार रहा था. एक तरफ देश गुलामी की जंजीरों से निकल रहा था और दूसरी तरफ दिल्‍ली में झमाझम बारिश हो रही थी. मानो कुदरत भी भारत की आजादी का जश्‍न मना रही हो.

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