ईश्वर एक खोज के इस स्पेशल एपिसोड में देखिए कि अयोध्या के राजा रहे राम और लंकेश्वर रावण की कहानी के पीछे क्या मिथक है और क्या सचाई. क्या आधुनिक श्रीलंका रामायणकाल की सोने की लंका थी, जहां रावण एकक्षत्र राज करता था. इससे पहले पिछले एपिसोड में आपने पंचवटी के पुरातात्विक साक्ष्य देखे और रामायणकाल के रामसेतु जैसे वैज्ञानिक प्रमाण से रू-ब-रू हुए. इसके अलावा आपको डीएनए मैपिंक के जरिए रामायणकाल की जनजातियों के साक्ष्य भी दिखाए और बताया गया कि बानर बंदर नहीं, बल्कि एक इंसानी प्रजाति थे. इस एपिसोड में श्रीलंका पहुंची आज तक की टीम मामले के जानकारों और शोधकर्ताओं से बात करके यह जानने की कोशिश करती है कि रामायणकाल की सोने की लंका और अशोक वाटिका को लेकर उठने वाले सवालों में क्या वाकई कोई हकीकत है? आधुनिक श्रीलंका ही त्रेतायुग की लंका थी, जिसका निर्माण विश्वकर्मा ने खुद किया था. समुद्र से चारो ओर से घिरी लंका को धन के राजा कुबेर की नगरी कहा जाता है, जिसको रावण ने हड़प लिया था. यहां नुवारा इलिया नाम की एक जगह है, जहां बेहद मनोरम घाटी के बीच एक वाटिका है, जिसे अशोक वाटिका कहा जाता है. श्रीलंका के पुरातात्विक विभाग का दावा है कि अशोक वाटिका मंदिर में स्थापित राम और सीता की मूर्तियां पांच हजार साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. नुवारा इलिया के नजदीक सीता इलिया नामक स्थान पर रामायण के सबूत हैं. आज से करीब सात हजार साल पहले बानर सेना रामसेतु से श्रीलंका पहुंची थी. श्रीलंका की सरहद तक पहुंचने में बानर सेना को एक दिन का पूरा वक्त लग गया था. रावण के पुष्पक विमान और अशोक वाटिका के लाल अवशेष की कहानी के लिए देखिए पूरा वीडियो.........