18 साल पहले लक्ष्मणपुर बाथे में 58 दलितों को मौत के घाट उतार दिया गया था. हैरानी की बात यह है कि आज तक इस भीषण नरसंहार के लिए किसी को कोई सजा नहीं दी गई. आरोपियों को अदालत बरी कर चुकी है. ऐसे में 58 लोगों की लाशें यहीं सवाल पूछ रही है कि हमारे कातिल कहां हैं.