लालकृष्ण आडवाणी पार्टी पर अपनी पकड़ खोना नहीं चाहते. उन्होंने जता दिया कि 2009 की हार वो भुला चुके हैं और अब पूरे दमखम के साथ आगे बढ़ने की तैयारी कर रहे हैं. 81 साल की उम्र में भी पार्टी का मोह नहीं छोड़ पाए और नई पीढ़ी को कमान सौंपने की बात शायद भूल चुके हैं.