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शर्म है कि इन्‍हें आती ही नहीं

शर्म है कि इन्‍हें आती ही नहीं

दिल्ली में हुई दरिंदगी को लेकर देश भले ही गुस्से में हो लेकिन बेशर्म बयानों का सिलसिला खत्म होता नजर नहीं आता. चाहे धर्म गुरु हों या फिर सियासतदान कोई भी बयानबाजी में पीछे नहीं. खुद को संत का दर्जा देने वाले आशाराम बापू ने गैंगरेप के लिए लड़की को जिम्मेदार ठहरा दिया और खुद को बचाने के लिए वहशियों के सामने गिड़गिराने की नसीहत दे डाली, तो जेडीयू नेता शरद यादव ने बलात्कार का नया समाजशास्त्र ही गढ़ दिया. हैरत की बात तो ये है कि बयान पर बवाल के बावजूद दोनों में से किसी को भी अपने बयान को लेकर कोई शर्म नहीं.

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