ज़ख़्म जब नासूर बन जाता है तो उसे काट कर फेंकना पड़ता है. नक्सलवाद भी नासूर बन चुका है. हाल के नक्सली हमलों से ज़ाहिर हो गया है कि वे देश और देशवासी, दोनों के दुश्मन हैं. इसलिए केंद्र सरकार नक्सलवाद को नेस्तनाबूद करने की मुहिम में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. विचार यहां तक बन चुका है कि नक्सलियों के ख़िलाफ़ फौज को उतार दिया जाए तो कोई हर्ज नहीं.