मुंह में बात, बगल में सेना. यही चाल है चीन की और यही चरित्र भी. कितना जिद्दी है चीन. खुद वादा करता है, फिर उसे तोड़ने पर आमादा हो जाता है. अकड़ू इतना कि हर वक्त हिमाकत करने को तैयार बैठा है चीन. ये जानने के बावजूद कि हर मोर्चे पर मुस्तैद है हिंदुस्तान. लेकिन चीन की जिद्द की वजह से ही बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल रहा है. 6 जून और 22 जून के बाद 30 जून को एलएसी पर फिर अहम बैठक हुई जो 12 घंटे तक चली. सूत्रों के मुताबिक इस बातचीत का मुख्य फोकस पेंगोंग लेक का फिंगर-4 इलाका था, लेकिन सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर कोई सहमति नहीं बन पाई. दोनों पक्षों ने अपने सैनिक पीछे हटाने को लेकर बातें तो काफी कीं लेकिन आपसी सहमति नहीं बन पाई.